कोरबा (पब्लिक फोरम)। शहर में इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा चालकों की बढ़ती समस्याओं ने अब गंभीर रूप ले लिया है। हजारों इलेक्ट्रिक रिक्शा शहर की सड़कों पर संचालित हैं, लेकिन इन्हें बस स्टैंड, पुराने बस स्टैंड और जिला चिकित्सालय जैसे प्रमुख स्थानों पर यात्रियों को बैठाने से रोका जा रहा है। इस अव्यवस्था के कारण आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें नियमित रूप से डराया-धमकाया जाता है और यात्री उठाने से जबरन रोका जाता है। कई बार इस मामले की जानकारी प्रशासन को दी गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
इलेक्ट्रिक ई-रिक्शा संघ ने अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। संघ के प्रतिनिधियों ने बताया कि इससे पहले सांसद को भी ज्ञापन दिया गया था, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ऑटो संघ और प्रशासनिक कार्रवाई
इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों का कहना है कि जिला ऑटो संघ के अध्यक्ष आजम खान पर प्रशासन ने पहले भी कार्रवाई की थी, लेकिन फिर भी ऑटो चालकों द्वारा इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों पर दबाव बनाया जा रहा है। इस दबाव और भय के कारण इलेक्ट्रिक रिक्शा चालक मानसिक और आर्थिक संकट में हैं।
इन समस्याओं का असर चालकों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ा है। वे बैंक के कर्ज की किश्तें समय पर नहीं चुका पा रहे हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना भी कठिन हो गया है।
क्या चाहते हैं इलेक्ट्रिक रिक्शा चालक?
ई-रिक्शा संघ ने प्रशासन से तीन प्रमुख स्थानों—नया बस स्टैंड, पुराना बस स्टैंड, और जिला चिकित्सालय—में उनके लिए स्थान आरक्षित करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने नया बस स्टैंड में एक खाली पड़ी ऑटो कार्यालय को ई-रिक्शा चालकों को सौंपने की मांग की है।
ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि अगर उन्हें एक कार्यालय उपलब्ध कराया जाए, तो यात्रियों का छूटा हुआ सामान वहां सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे यात्रियों को उनका सामान आसानी से वापस मिल सकेगा और चालक व आम लोगों के बीच विश्वास भी बना रहेगा।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
प्रशासनिक अनदेखी और उचित समाधान न मिलने से इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों के लिए यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। उनकी मांगें केवल स्थान आवंटन और सुरक्षित माहौल तक सीमित हैं, जो प्रशासनिक स्तर पर आसानी से पूरी की जा सकती हैं।
इलेक्ट्रिक रिक्शा चालक शहर के परिवहन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान न केवल उनकी आजीविका बचाने के लिए जरूरी है, बल्कि यह शहर के यात्री परिवहन व्यवस्था को भी सुव्यवस्थित करेगा। प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देकर समाधान करना चाहिए, ताकि इनकी परेशानियां खत्म हो सकें और शहर का परिवहन तंत्र बेहतर हो सके।
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