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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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बिना आयु प्रमाण पत्र के वैवाहिक सेवाएं न दें: बाल विवाह रोकने की दिशा में कोरबा प्रशासन की बड़ी पहल

कोरबा (पब्लिक फोरम)। बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कोरबा जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर अजीत वसंत ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 6(1)(क) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 27 नवंबर को सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस सभा में बाल विवाह मुक्त पंचायत बनाने की शपथ ली जाएगी।

बाल विवाह: कानून और परिणाम

महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्रीमती रेणु प्रकाश ने कहा कि बाल विवाह को रोकने के लिए समाज में जागरूकता पैदा करना अत्यावश्यक है। उन्होंने बताया कि भारतीय कानून के अनुसार:-
लड़की की न्यूनतम विवाह आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष है।
बाल विवाह करना, इसमें सहायता करना, इसे बढ़ावा देना, या इस प्रकार के आयोजनों में शामिल होना कानूनी अपराध है।
दोषी पाए जाने पर दो साल तक का कठोर कारावास, 1 लाख रुपये तक जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।
बाल विवाह से जुड़े दुष्परिणामों में शिक्षा का अभाव, मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा, समयपूर्व गर्भावस्था, शिशु और मातृ मृत्यु दर में वृद्धि जैसे गंभीर परिणाम शामिल हैं।

समाज से अपील: जिम्मेदारी से निभाएं भूमिका
जिला प्रशासन ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर धार्मिक आयोजकों, टेंट हाउस संचालकों, डीजे-बैंड संचालकों, प्रिंटिंग प्रेस मालिकों और नागरिकों से अपील की है कि वे आयु प्रमाण पत्र के बिना किसी भी वैवाहिक सेवा को प्रदान न करें।
यह सामूहिक सहयोग न केवल बाल विवाह को रोकने में मदद करेगा, बल्कि बच्चों के संरक्षण और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

बाल विवाह रोकने के लिए क्या करें?
अगर आपके आसपास कहीं बाल विवाह की योजना बनाई जा रही हो, तो तुरंत इसे रोकें।
इसकी सूचना जिला प्रशासन, पुलिस या महिला एवं बाल विकास विभाग को दें।

चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या 112 पर शिकायत दर्ज करें।

संवेदनशील समाज और बच्चों का भविष्य
बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि यह बच्चों के अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। कलेक्टर अजीत वसंत का यह निर्देश बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने और समाज को जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

27 नवंबर को आयोजित ग्राम सभा न केवल बाल विवाह के खिलाफ एक सशक्त संदेश देगी, बल्कि यह समाज में बच्चों के संरक्षण और विकास के प्रति एक सकारात्मक सोच भी विकसित करेगी।

समाज की जिम्मेदारी है कि बच्चों को उनके अधिकार और उज्ज्वल भविष्य देने में सक्रिय भागीदार बने। यह कदम हमें एक सभ्य और जागरूक समाज की ओर ले जाएगा।

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