गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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वेतन में समानता की मांग: छत्तीसगढ़ के 20,000 प्लेसमेंट कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर!

रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 20,000 प्लेसमेंट कर्मचारी अपनी वेतन प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। राज्य के 184 नगरीय निकायों में सफाई, जल आपूर्ति, विद्युत और अन्य प्रशासनिक सेवाएं ठप हो गई हैं। इस हड़ताल ने नगरीय जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

क्या है कर्मचारियों की मांगें?

1. सीधे वेतन भुगतान: कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि उन्हें अन्य विभागों (जैसे जल संसाधन, पीडब्ल्यूडी, पीएचई, वन विभाग आदि) के समान सीधे नगरीय निकायों से वेतन का भुगतान किया जाए।

2. श्रम सम्मान राशि: श्रम विभाग द्वारा अगस्त 2023 में घोषित ₹4000/- मासिक श्रम सम्मान राशि सभी प्लेसमेंट कर्मचारियों पर भी लागू की जाए।

छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी महासंघ का कहना है कि ये कर्मचारी पिछले 15-20 वर्षों से अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के बराबर कार्य करने के बावजूद इन्हें उनके श्रम का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा। महासंघ का दावा है कि वेतन प्रणाली में यह भेदभाव उनके साथ अन्याय है और इससे उनका आत्मसम्मान आहत हुआ है।

हड़ताल का प्रभाव
हड़ताल के पहले दिन से ही नगरीय निकायों की सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
सफाई कार्य बंद: सफाई कार्य रुकने से शहरों में गंदगी का अंबार लगने लगा है।
जल आपूर्ति बाधित: जल आपूर्ति रुकने से आम नागरिक परेशान हैं।
विद्युत सेवाएं प्रभावित: विद्युत आपूर्ति में रुकावट से नगरीय क्षेत्रों में समस्याएं बढ़ गई हैं।
प्रशासनिक सेवाएं ठप: लोक सेवा केंद्र और अन्य कार्यालयों के कामकाज पर भी असर पड़ा है।

महासंघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आगामी नगरीय निकाय चुनाव का बहिष्कार करेंगे। महासंघ ने इस स्थिति के लिए शासन और प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है।

भविष्य में क्या हो सकता है?
महासंघ ने यह भी संकेत दिया है कि हड़ताल को और उग्र किया जा सकता है। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो कर्मचारी परिवारों के साथ इस आंदोलन में शामिल होंगे। इसके अलावा, आंदोलन के लंबा खिंचने से शहरों में जनजीवन और अधिक बाधित हो सकता है।

कर्मचारियों की मांगें न्यायोचित और व्यावहारिक लगती हैं। सीधे वेतन भुगतान से शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। वहीं, श्रम सम्मान राशि सभी कर्मचारियों को देना समानता और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है। शासन का यह दायित्व है कि वह समस्या का समाधान निकाले और कर्मचारियों के साथ सम्मानजनक संवाद स्थापित करे।

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