इंफाल (पब्लिक फोरम)। मणिपुर में हिंसा और तनाव लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार रात को इंफाल में तीन शव मिलने के बाद हालात और बिगड़ गए। घटना मणिपुर-असम सीमा के पास की बताई जा रही है। माना जा रहा है कि ये शव जिरीबाम जिले के छह लापता लोगों में से तीन के हो सकते हैं। इस घटना के बाद पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शनों ने उग्र रूप ले लिया।
क्या है मामला?
मणिपुर में पहले से ही कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव जारी है। इस संवेदनशील माहौल में, तीन शवों के मिलने से हालात और गंभीर हो गए। शुक्रवार रात को प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने आगजनी शुरू कर दी। इस हिंसा ने राजधानी इंफाल को अपनी चपेट में ले लिया।
सीएम के घर पर हमला और कर्फ्यू लागू
घटना के बाद, भीड़ ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के घर पर हमला किया। हालात काबू से बाहर होते देख प्रशासन ने इंफाल में कर्फ्यू लागू कर दिया। इसके साथ ही राज्य में इंटरनेट सेवाएं अनिश्चितकाल तक निलंबित कर दी गईं, ताकि अफवाहों और भड़काऊ सामग्री के प्रसार को रोका जा सके।
AFSPA हटाने की मांग और केंद्र की भूमिका
मणिपुर सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाने की मांग की थी। इस मांग ने राज्य में राजनीतिक और सामाजिक विवाद को और गहरा दिया है। यह अधिनियम राज्य में लंबे समय से लागू है और इसे लेकर स्थानीय लोग अपनी असहमति जाहिर करते रहे हैं।
हिंसा के पीछे का गहरा दर्द
इस हिंसा का कारण केवल तात्कालिक घटनाएं नहीं हैं, बल्कि यह मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही जातीय और सामाजिक असमानता का परिणाम है। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच आपसी विश्वास की कमी ने इस आग को और भड़काया है। तीन शवों के मिलने ने दोनों समुदायों के जख्मों को ताजा कर दिया।
क्या करना चाहिए?
इस समय मणिपुर को संवेदनशील और प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता है। राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर विश्वास बहाली के प्रयास करने चाहिए। इसके लिए समुदायों के बीच संवाद, सुरक्षा सुनिश्चित करना और न्यायिक जांच जैसी पहलें करनी होंगी।
मणिपुर की मौजूदा स्थिति मानवता के लिए एक गंभीर चेतावनी है। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। राज्य को शांति, सहिष्णुता और आपसी विश्वास के जरिए इस संकट से उबरने की जरूरत है। यह वक्त समाज और सरकार दोनों के लिए आत्ममंथन का है।
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