गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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बालको में बेरोजगार महिलाओं का आंदोलन: गांधी जयंती से भूख हड़ताल की शुरुआत!

कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)।
बालको की बेरोजगार महिलाओं ने अपनी वर्षों से लंबित मांगों को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर दी है। ‘बेरोजगार महिला संघर्ष समिति’ के नेतृत्व में यह आंदोलन 2 अक्टूबर 2024, गांधी जयंती के दिन से आरंभ होगा।

पहले दिन, महिलाएं बालको के मुख्य प्रोजेक्ट गेट को बंद करेंगी। इसके बाद, 3 अक्टूबर को परसाभाटा गेट और मटेरियल गेट को भी बंद करने की योजना है। आंदोलन को और तीव्र करते हुए, 4 अक्टूबर से बालको के सभी गेट अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

महिलाओं ने संघर्ष को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए क्रमिक भूख हड़ताल का भी ऐलान किया है। 2 अक्टूबर से प्रतिदिन दो महिलाएं भूख हड़ताल पर बैठेंगी। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक बालको प्रबंधन उनकी मांगों को नहीं मानता, यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।

आंदोलन का उद्देश्य और गंभीरता

यह आंदोलन बेरोजगार महिलाओं की निराशा और उनकी हक की लड़ाई को प्रकट करता है। महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रही हैं, और गांधी जयंती के दिन से अपने अहिंसक संघर्ष की शुरुआत कर रही हैं। गांधीजी का जीवन सत्य और अहिंसा का प्रतीक था, और महिलाएं उनके इस संदेश को आगे बढ़ाते हुए, अपनी न्यायपूर्ण मांगों के लिए दृढ़ कदम उठा रही हैं।

एक न्यायपूर्ण संघर्ष
इस आंदोलन की जड़ें महिलाओं की वास्तविक समस्याओं और उनके अधिकारों की लड़ाई से जुड़ी हैं। लंबे समय से बेरोजगारी की मार झेल रही ये महिलाएं अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष कर रही हैं। बालको प्रबंधन द्वारा उनकी मांगों पर ध्यान न दिए जाने के कारण उनका आक्रोश स्वाभाविक है।

आंदोलन में गांधी जयंती से शुरुआत करना प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक शांतिपूर्ण और अहिंसक प्रतिरोध का संदेश देता है। हालांकि, महिलाओं का संघर्ष केवल प्रतीकात्मक नहीं है; वे अपनी मांगों को गंभीरता से पूरा करने के लिए कृतसंकल्प हैं। प्रबंधन की उदासीनता के कारण महिलाएं इस कठिन रास्ते को चुनने पर मजबूर हुई हैं, जो उनकी दृढ़ता और साहस को दिखाता है।

यह आंदोलन न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि व्यापक सामाजिक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बेरोजगार महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक है। उनकी मांगों का समाधान करना बालको प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है, ताकि इस प्रकार के आंदोलन टाले जा सकें। (प्रतिनिधि: मनीष साहू)

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