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रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए घर-घर सर्वेक्षण: 27 नवंबर को CSC-VLE का प्रशिक्षण!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजातियों (PVTG) के जीवनस्तर को सुधारने के उद्देश्य से सरकार की ओर से घर-घर सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत प्रत्येक परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान कार्ड, जनधन खाता, राशनकार्ड, जाति प्रमाण पत्र, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, मातृ वंदना योजना और उज्ज्वला योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं।
इस महत्वपूर्ण सर्वेक्षण कार्य को प्रभावी रूप से पूरा करने के लिए 27 नवंबर को कोरबा के जिला पंचायत सभाकक्ष में CSC-VLE (कॉमन सर्विस सेंटर – विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर) का प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रातः 11 बजे से प्रारंभ होगा, जिसमें CSC जिला प्रबंधक द्वारा VLEs को आवश्यक जानकारियां और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

भारत सरकार द्वारा इस प्रकार के सर्वेक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के सबसे पिछड़े और वंचित तबकों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले। यह एक सराहनीय कदम है, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि कई लाभार्थी योजनाओं की जानकारी के अभाव में या प्रक्रियात्मक कठिनाइयों के कारण उनसे वंचित रह जाते हैं।
इस सर्वेक्षण के माध्यम से जहां सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ लाभार्थियों तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं CSC-VLE को इसके लिए प्रशिक्षित करना भी एक प्रभावी कदम है। VLEs स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका प्रशिक्षण सुनिश्चित करेगा कि यह अभियान सही तरीके से संचालित हो।

हालांकि, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि हर पात्र व्यक्ति तक इन योजनाओं का लाभ पहुँच सके। साथ ही, प्रशासन को यह भी ध्यान रखना होगा कि इस सर्वेक्षण और योजनाओं के लाभ प्रदान करने में कोई भी भेदभाव या पक्षपात न हो।
समग्र रूप से, इस अभियान की सफलता का सीधा संबंध सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और आम जनता के जीवनस्तर में सुधार से है। यह आवश्यक है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में समाज के सभी वर्गों को समान रूप से शामिल किया जाए और उन्हें जागरूक किया जाए, ताकि देश की सबसे पिछड़ी जनजातियां भी विकास की मुख्यधारा में सम्मिलित हो सकें।

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