कोरबा (पब्लिक फोरम)। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने एक बार फिर बालको प्रबंधन की मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि बालको, जो भारत का पहला एल्यूमिनियम संयंत्र है, पिछले दो दशकों से निजी क्षेत्र की कंपनी वेदांता समूह के अधीन है। हालांकि, बालको में अब भी भारत सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार का प्रबंधन पर कोई नियंत्रण नहीं है। चाहे क्षेत्र की सड़कों की दुर्दशा हो या स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने का मुद्दा, बालको प्रबंधन ने सदैव वादा खिलाफी की है।
जनहित की उपेक्षा, कर्मचारियों की अनदेखी
श्री अग्रवाल ने कहा कि बालको प्रबंधन स्थानीय नागरिकों और कर्मचारियों की जरूरतों की लगातार अनदेखी कर रहा है। जनहित के कार्यों में उनकी उपेक्षा और बेरोजगारों को रोजगार नहीं देना इस प्रबंधन का एक आदतन व्यवहार बन गया है। यही नहीं, प्रबंधन अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का दावा करता है, जबकि वास्तविकता में कर्मचारियों को भयभीत और परेशान किया जा रहा है।
स्थानांतरण की साजिश और कर्मचारियों की परेशानी
श्री अग्रवाल ने खुलासा किया कि बालको प्रबंधन ने 100 से अधिक कर्मचारियों के स्थानांतरण की योजना तैयार की है, जिनमें से अधिकांश लोग जूनियर स्तर के अधिकारी हैं। इन्हें उड़ीसा के झारसुगुड़ा एल्यूमिनियम संयंत्र और लांजीगढ़ स्थित एल्यूमिना रिफायनरी में स्थानांतरित किया जाएगा। इसमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं, जो अन्य राज्यों से हैं लेकिन लंबे समय से कोरबा में रह रहे हैं और अब यहां के मतदाता भी बन चुके हैं।
स्थानांतरण से उत्पन्न परिवारिक समस्याएं
श्री अग्रवाल ने यह भी बताया कि इस बड़े पैमाने पर किए जा रहे स्थानांतरण से कर्मचारियों और उनके परिवारों पर गहरा असर पड़ेगा। उनके बच्चों की शिक्षा, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल और घर की जिम्मेदारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। बालको प्रबंधन को इन भावनात्मक और सामाजिक मुद्दों की कोई परवाह नहीं है।
क्षेत्र में अशांति और आंदोलन की संभावना
श्री अग्रवाल ने चेतावनी दी कि बालको प्रबंधन की इस तरह की कार्यशैली कर्मचारियों में व्यापक असंतोष पैदा कर सकती है, जो उग्र आंदोलन का रूप ले सकता है। अगर स्थिति बिगड़ती है तो इसका पूरा दायित्व बालको प्रबंधन पर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बालको-कोरबा के लोग बालको प्रबंधन से संयंत्र विस्तार और रोजगार के मुद्दों पर काफी उम्मीदें रखते हैं, लेकिन इस तरह के कदम क्षेत्र में अशांति का कारण बन सकते हैं।यह मुद्दा न केवल प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच की खाई को दर्शाता है, बल्कि एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक समस्या को भी उजागर करता है। बालको प्रबंधन की कार्यशैली में पारदर्शिता और नैतिकता की कमी दिखाई देती है। कर्मचारियों का स्थानांतरण एक संवेदनशील मुद्दा है, जो उनके व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करता है।
इस स्थिति में, बालको प्रबंधन को कर्मचारियों के साथ संवाद को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि संभावित अशांति को टाला जा सके। यह मुद्दा न केवल श्रमिकों के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।
यह मुद्दा न केवल प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच की खाई को दर्शाता है, बल्कि एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक समस्या को भी उजागर करता है। बालको प्रबंधन की कार्यशैली में पारदर्शिता और नैतिकता की कमी दिखाई देती है। कर्मचारियों का स्थानांतरण एक संवेदनशील मुद्दा है, जो उनके व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करता है।
इस स्थिति में, बालको प्रबंधन को कर्मचारियों के साथ संवाद को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि संभावित अशांति को टाला जा सके। यह मुद्दा न केवल श्रमिकों के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।
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