कोरबा (पब्लिक फोरम)। कटघोरा वन मंडल के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में पिछले सात वर्षों से जंगली हाथियों के एक बड़े दल ने लगभग 70 गांवों को अपनी गतिविधियों से प्रभावित कर रखा है। इन हाथियों के कारण फसल, जन-धन, आवास और पशुधन को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है, जिससे ग्रामीणों में गहरा डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
18 सितंबर, बुधवार को, इसी समस्या को लेकर चोटिया बाजार के पास एक विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। “हाथी भगाओ, हाथी भगाओ” के नारों के बीच यह विरोध प्रदर्शन पूर्व जनपद सदस्य विरेन्द्र मरकाम के नेतृत्व में हुआ। प्रदर्शन में प्रशासन की ओर से पोड़ी उपरोड़ा के नायाब तहसीलदार सुमन दास मानिकपुरी और कटघोरा वन मंडल के केंदई, जटगा, पसान, ऐतमानगर वन परिक्षेत्र के चारों रेंजर भी उपस्थित थे। मुख्य मांग यह थी कि हाथियों को ग्रामीण क्षेत्रों से हटाया जाए और उन्हें एलीफेंट रिजर्व क्षेत्र में भेजा जाए।
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने बताया कि 2017 से विकासखंड पोंडी उपरोड़ा के लगभग 70% गांवों में गरीब आदिवासी परिवारों का जीवन हाथियों के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। हाथियों के लगातार हमलों से न केवल फसल और संपत्ति का नुकसान हो रहा है, बल्कि ग्रामीणों की जानमाल को भी खतरा बना हुआ है। सरकार द्वारा दी जाने वाली क्षतिपूर्ति भी पर्याप्त नहीं है, जिससे ग्रामीणों में असंतोष और बढ़ता जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने कुछ मुख्य मांगें उठाईं, जिनमें प्रत्येक हाथी प्रभावित गांवों में पावर झटका फेंसिंग की व्यवस्था, फसल क्षति की मुआवजा राशि बढ़ाकर 1.5 रूपये लाख प्रति हेक्टेयर करने, बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने या सौर ऊर्जा लाइट की सुविधा प्रदान करने, और मुआवजा मामलों में हो रही धांधली की जांच शामिल थीं। इसके अलावा, उन्होंने मांग की कि जिला और संभाग स्तरीय अधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें और जनहानि व पशुहानि की मुआवजा राशि में वृद्धि की जाए।
प्रदर्शनकारियों ने नायब तहसीलदार सुमन दास मानिकपुरी को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें एक सप्ताह के भीतर समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। यदि सात दिनों के भीतर इन मांगों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो ग्रामीणों ने नेशनल हाईवे पर चक्काजाम की चेतावनी दी है।
धरना प्रदर्शन शाम 4 बजे समाप्त हुआ। इस दौरान बांगो थाना प्रभारी, कोरबी चौकी प्रभारी अफसर अली खान, सरपंच सोभरन सिंह, रवि मरकाम (मंडलाध्यक्ष, चोटिया), प्रहलाद सिंह बिंझवार, सरपंच सुशीला कंवर, योगेश सिंह और छोटू मशीह सहित 70 गांवों से आए सैकड़ों ग्रामीण धरना स्थल पर मौजूद थे।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि जंगली हाथियों के बढ़ते खतरे के कारण ग्रामीणों का जीवन मुश्किल हो गया है। सात साल से चल रही यह समस्या प्रशासन की ओर से लगातार नजरअंदाज की जा रही है, और ग्रामीणों की असंतुष्टि अब उग्र रूप ले रही है। सरकार को तुरंत इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि ग्रामीणों की आजीविका और सुरक्षा से भी सीधा जुड़ा है। ग्रामीणों की मांगें बिल्कुल जायज़ हैं, और उन्हें उचित मुआवजा और सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए।
हाथियों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय निवासियों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसके लिए सरकार को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि वन्यजीवों और इंसानों के बीच संतुलन बना रहे। ग्रामीणों का धैर्य टूट रहा है, और यदि प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो यह विरोध और भी उग्र व विस्फोटक रूप ले सकता है।
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