शनिवार, नवम्बर 23, 2024
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आईसी 814: सवालों की अनदेखी कब तक?

आईसी 814 वो विमान है, जिसे 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आते वक्त आतंकियों ने अगवा कर लिया था। अनुभव सिन्हा द्वारा बनाई गई सीरीज़ ‘आईसी 814’ इसी विमान अपहरण की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। यह सीरीज़ पत्रकार श्रींजॉय चौधरी और कैप्टन देवी शरण की किताब ‘फ्लाइट इन टू फियर: द कैप्टन स्टोरी’ पर आधारित है। इसमें काठमांडू से भारतीय एजेंट की चेतावनी की अनदेखी से लेकर विमान के अपहरण और कंधार में सात दिन बाद मौलाना मसूद अज़हर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर की रिहाई तक की घटनाओं को दिखाया गया है।

विमान को काठमांडू से अमृतसर, लाहौर, दुबई होते हुए आखिर में कंधार ले जाया गया। इन सात दिनों में विमान के यात्रियों की ज़िंदगी आतंकियों की दया पर निर्भर रही। एक यात्री की मौत के अलावा बाकी सभी यात्रियों को छुड़ा लिया गया, लेकिन इसके लिए देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी। जिन तीन आतंकवादियों को कांग्रेस के शासनकाल में पकड़ा गया था, उन्हें भाजपा की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने छोड़ा, जिसके बाद संसद पर हमले समेत कई और आतंकी घटनाएं हुईं।

अगर यह कोई उपन्यास या फिल्म की कहानी होती, तो पहले ही दिन कमांडो कार्रवाई करते और सबकुछ ठीक हो जाता। लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग थी। अमृतसर में विमान के रुकने के दौरान भी भारतीय कमांडो कुछ नहीं कर पाए। आखिर क्यों? यही सवाल सीरीज़ में बार-बार उठता है और दर्शकों को बेचैन करता है। इस सवाल से देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, गृहमंत्री लालकृष्ण आडवानी, और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जैसे प्रमुख नेताओं की भूमिकाओं और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े होते हैं।

सीरीज़ में नौकरशाही की जनता से दूरी को भी दर्शाया गया है। यह रवैया सही तो नहीं है, लेकिन सच के काफी करीब है। अनुभव सिन्हा ने ‘टू मच डेमोक्रेसी’ का संवाद डलवाकर उस दौर की सच्चाई को सामने रखा है। आईसी 814 सीरीज़ ने वाजपेयी शासनकाल की एक बड़ी नाकामी को फिर से उजागर कर दिया है। 2004 के चुनावों में जनता ने कारगिल से लेकर कंधार हाईजैक और संसद पर हमले तक की घटनाओं को याद रखा, जो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनीं।

हालांकि, 2014 में भाजपा फिर से सत्ता में आई और तब से ऐसी घटनाओं से ध्यान भटकाने की कोशिश जारी है। पुलवामा हमले की घटना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मैन वर्सेस वाइल्ड’ की शूटिंग में व्यस्त थे। इस घटना के बाद भी सरकार और प्रशासन के रवैये पर सवाल उठे, लेकिन समय के साथ उन्हें राष्ट्रवाद के नाम पर दबा दिया गया।

आज भी भाजपा समर्थक और भक्त पत्रकार अनुभव सिन्हा पर निशाना साध रहे हैं। वे एक गंभीर घटना को हिंदू-मुसलमान का रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी अनुभव सिन्हा की फिल्में ‘आर्टिकल 15’, ‘भीड़’, ‘मुल्क’ और ‘थप्पड़’ विवादों में रह चुकी हैं, क्योंकि ये फिल्में समाज को मंथन करने पर मजबूर करती हैं।

(सर्वमित्रा सुरजन)

मौजूदा समय में मीडिया, पूंजीपति, और सरकार का गठजोड़ देश पर हावी है। इस व्यवस्था में अगर कोई रचना सवाल खड़े करती है, तो उसे देशविरोधी साबित करने की कोशिश की जाती है। आईसी 814 सीरीज़ के साथ भी यही हो रहा है। अब देखना होगा कि जनता किस तरह अपने विवेक का इस्तेमाल करती है और सच्चाई तक पहुँचती है।
(आलेख: सर्वमित्रा सुरजन, लेखिका ‘देशबंधु’ समूह से जुड़ी पत्रकार हैं।)

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