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सोमवार, दिसम्बर 23, 2024
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पीजी कॉलेज कोरबा में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों ने छात्रों को दी नैतिकता और शिक्षा की सीख!

अध्यापकों ने नैतिकता और शिक्षा का पाठ पढ़ाया: डॉ. साधना खरे

कोरबा (पब्लिक फोरम)। पीजी कॉलेज कोरबा के प्राणिशास्त्र विभाग में गुरुवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के सभी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और कॉलेज की प्राचार्या, डॉ. साधना खरे ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर प्राचार्या डॉ. साधना खरे ने कहा कि शिक्षक समाज का आधार स्तंभ होते हैं और उनकी भूमिका विद्यार्थियों के जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि नैतिकता और जीवन के मूल्यों का भी ज्ञान देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के समय में शिक्षकों को तकनीकी ज्ञान से भी सुसज्जित होना चाहिए, लेकिन यह भी सत्य है कि कोई भी तकनीक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। एक अच्छे शिक्षक की पहचान इसी से होती है कि वह विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ जीवन के नैतिक मूल्यों का भी पाठ पढ़ाए।

प्राणिशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष बलराम कुर्रे ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एक शिक्षक की सबसे बड़ी सफलता उसके विद्यार्थियों की सफलता में ही निहित होती है। उन्होंने सभी छात्रों को आगामी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और विभाग का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम में छात्रों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिसमें गीत, भाषण और कविताएं शामिल थीं। इन प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए और सभी ने शिक्षकों के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को प्रकट किया। कार्यक्रम का समापन विभागाध्यक्ष बलराम कुर्रे के धन्यवाद ज्ञापन और छात्रों को आशीर्वाद देने के साथ हुआ।

इस आयोजन में मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. साधना खरे, विभागाध्यक्ष प्राणिशास्त्र बलराम कुर्रे, विभागाध्यक्ष भौतिक शास्त्र एस.एस. तिवारी, अतिथि व्याख्याता सुनील पटेल, लोकेश्वरी दास, लैब टेक्नीशियन सुनीता ओगरे सहित प्राणिशास्त्र विभाग के प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।

इस कार्यक्रम ने न केवल शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि आज की शिक्षा प्रणाली में नैतिकता और मूल्यों का सम्मिलन अत्यंत आवश्यक है। डॉ. साधना खरे और अन्य शिक्षकों ने छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान देने के बजाय जीवन के हर पहलू की शिक्षा देने की दिशा में प्रेरित किया। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए प्रेरणादायक रहा, बल्कि शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बना।

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