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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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मोदी सरकार की एकीकृत पेंशन योजना: सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला! -AICCTU

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा हाल ही में घोषित की गई यूपीएस (एकीकृत पेंशन योजना) को लेकर सरकारी कर्मचारियों के बीच भारी आक्रोश है। इस योजना को AICCTU (ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस) ने एक धोखा बताते हुए इसे कर्मचारियों को बांटने और उनके अधिकारों को कुचलने की साजिश करार दिया है। संगठन का मानना है कि यह कदम एनपीएस (नई पेंशन योजना) के खिलाफ और ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) की बहाली के लिए चल रहे आंदोलन को कमजोर करने की एक हताशा भरी कोशिश है।

यूपीएस: एनपीएस के ही समान या उससे भी बुरा? 
मोदी सरकार द्वारा यूपीएस की शुरुआत को कई लोग एनपीएस के खिलाफ उभरते आक्रोश और ओपीएस के समर्थन में बढ़ते आंदोलन के दबाव में उठाया गया कदम मानते हैं। लेकिन अगर इस योजना का गहराई से विश्लेषण किया जाए, तो यह एनपीएस से बेहतर कुछ भी नहीं है। वास्तव में, यूपीएस के तहत कर्मचारियों को एनपीएस की तरह ही अपने वेतन का 10% हिस्सा अंशदान के रूप में देना होगा, जो कि ओपीएस के विपरीत है। ओपीएस में, कर्मचारियों को अपने पेंशन के लिए किसी भी प्रकार का अंशदान नहीं करना पड़ता था, क्योंकि इसे उनके वेतन का एक हिस्सा माना गया था।

सुरक्षित भविष्य या अस्थिरता का डर?
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यूपीएस एक बाजार आधारित योजना है, जो बाजार की अनिश्चितताओं पर निर्भर करती है। इसमें कोई सुनिश्चित पेंशन का वादा नहीं किया गया है, जिससे कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित हो जाता है। इसके अतिरिक्त, ग्रेच्युटी में भी भारी कटौती की गई है, जिससे सेवा के अंत में कर्मचारियों को मिलने वाला लाभ काफी घट गया है। पहले जहां एक सरकारी कर्मचारी को सेवा के अंत में लगभग 20 लाख रुपये मिलते थे, अब यह राशि केवल सेवा के छह महीने के लिए मासिक वेतन के 10 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है। यह दशकों की सेवा के बाद मिलने वाले लाभ को नगण्य कर देता है।

संवैधानिक उल्लंघन और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी
यूपीएस के अंतर्गत पेंशन को लाभ के रूप में नकारा जा रहा है और इसे पूरी तरह से कर्मचारियों के अंशदान के आधार पर तय किया जा रहा है। यह न केवल कर्मचारियों के साथ अन्याय है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों और संविधान का भी उल्लंघन है। ओपीएस की बहाली के लिए संघर्ष को और मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।

ऐक्टू का समर्थन
  AICCTU ने स्पष्ट किया है कि वह देश के सरकारी कर्मचारियों के साथ है और उनके ओपीएस की बहाली के संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। संगठन ने यूपीएस के खिलाफ विरोध और ओपीएस की बहाली के आंदोलन को और तेज करने का आह्वान किया है।

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