छत्तीसगढ़/कोरबा (पब्लिक फोरम)। बिलासपुर संभाग में एक नया कीर्तिमान स्थापित होने जा रहा है। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) क्षेत्र में संभाग का सबसे ऊंचा आवासीय भवन बनाने की तैयारी में है। यह 10 मंजिला स्टूडियो अपार्टमेंट न केवल कोरबा का नक्शा बदलेगा, बल्कि शहर के विकास में एक नया अध्याय भी जोड़ेगा।
वर्तमान में, कोरबा में एनटीपीसी की एडीएम बिल्डिंग सबसे ऊंची इमारत मानी जाती है। लेकिन बालको का यह नया प्रोजेक्ट इस रिकॉर्ड को तोड़ देगा। यह परियोजना कई कारणों से चर्चा का विषय बनी हुई है।
कोरबा एक कोयला खनन क्षेत्र होने के कारण, यहां आमतौर पर भवन निर्माण के लिए केवल ग्राउंड प्लस चार मंजिल तक की ही अनुमति दी जाती है। ऐसे में, बालको को 10 मंजिला भवन बनाने की अनुमति मिलना कई सवाल खड़े करता है।
इधर बालको ने बताया है कि “हमने सभी संबंधित विभागों से आवश्यक अनुमतियां और अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया है।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कंपनी ने 11 मार्च 2024 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर, कोरबा को इस भवन निर्माण की अनुमति के लिए आवेदन किया था, जिसे 13 मई 2024 को मंजूरी मिल गई।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण कार्य राजस्थान के मिराज समूह की कंपनी को सौंपा गया है, जिसने काम शुरू भी कर दिया है। यह भवन ग्राम रिसदा में, जीईटी हॉस्टल के पीछे और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निकट बन रहा है। निर्माण स्थल को टीन की ऊंची दीवारों से घेरा गया है और काम तेजी से चल रहा है।
इस स्टूडियो अपार्टमेंट में एक और दो बेडरूम वाले फ्लैट होंगे, जो मुख्य रूप से बालको के ग्रेजुएट ट्रेनी इंजीनियर्स के लिए बनाए जा रहे हैं। इससे वे अपनी सेवा के दौरान परिवार के साथ रह सकेंगे। अनुमान है कि इस परियोजना की लागत लगभग 70 करोड़ रुपये होगी।
हालांकि यह परियोजना कोरबा के विकास में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकती है, लेकिन इसने कुछ चिंताएं भी उठाई हैं। नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों का इस मुद्दे पर मौन रहना कुछ सवाल तो खड़े करता ही है।
एक स्थानीय रियल एस्टेट डेवलपर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम सालों से चार मंजिल से ऊंची इमारतों के लिए अनुमति मांग रहे हैं, लेकिन हमें कभी मंजूरी नहीं मिली। ऐसे में बालको को विशेष अनुमति मिलना एक आश्चर्यजनक बात है।”
निश्चित रूप से यह परियोजना कोरबा के शहरी परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है। हालांकि, इसके साथ ही यह नियामक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और समानता की आवश्यकता पर भी सवाल खड़ा करती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह परियोजना कोरबा के विकास को कैसे प्रभावित करती है और क्या यह अन्य उच्च-ऊंचाई वाली इमारतों के लिए रास्ता खोलती है?
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