रायपुर/कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय द्वारा 7 अगस्त 2024 को 24वीं राज्य भूवैज्ञानिक कार्यक्रम बोर्ड की बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता श्री पी. दयानंद (आईएएस), सचिव, खनिज संसाधन विभाग ने की, और इसमें श्री सुनील जैन (आईएएस), विशेष सचिव, खनिज संसाधन विभाग, श्रीमती शीतल शस्वत (आईएएस), विशेष सचिव, वित्त, श्री सुनील मिश्रा, एपीसीसीएफ और विशिष्ट अतिथि श्री एस. भट्टाचार्य, महानिदेशक, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत उपस्थित रहे। इस महत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के प्रतिष्ठित भूवैज्ञानिक संगठन जैसे जीएसआई, एमईसीएल, एएमडी, एनएमडीसी, आईबीएम, सीआईएमएफआर, सीजीडब्ल्यूबी, सीएमपीडीआईएल और सीएमडीसी ने भाग लिया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों द्वारा किए गए खनिज अन्वेषण परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अन्वेषण योजना की रणनीति तैयार करना था। इसके साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अन्वेषण कार्यों को अंतिम रूप देना और खनिज अन्वेषण गतिविधियों के भविष्य की दिशा तय करना भी इस बैठक का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
श्री पी. दयानंद (आईएएस) ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी देश के लिए खनिज उसकी अर्थव्यवस्था और प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अन्वेषण गतिविधियों को राज्य की खनिज आधारित उद्योगों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए और खनिज अन्वेषण के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि खनिज क्षेत्र का विकास राज्य की प्रगति में योगदान कर सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अन्वेषण एजेंसियों को मिलकर कार्य करना चाहिए और अन्वेषण गतिविधियों की योजना को आवश्यकताओं के साथ समन्वयित करना चाहिए।
बैठक के दौरान, श्री सुनील जैन (आईएएस), विशेष सचिव और निदेशक, डीजीएम ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में डीजीएम छत्तीसगढ़ ने 1050 मीट्रिक टन चूना पत्थर और 179 मीट्रिक टन लोहे के अयस्क का अन्वेषण किया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में खनिज मंत्रालय, एनएमईटी ने डीजीएम छत्तीसगढ़ के लिए 1 चूना पत्थर ब्लॉक और 03 खनिज ब्लॉक, जिनमें 1 ग्रेफाइट और 02 आरईई ब्लॉक शामिल हैं, को स्वीकृति दी है।
बैठक में, श्रीमती शीतल शस्वत (आईएएस) और श्री सुनील मिश्रा, एपीसीसीएफ ने चर्चा की कि ऊर्जा संक्रमण और ईवी सेक्टर के लिए आवश्यक खनिजों को विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि वैश्विक ‘नेट जीरो’ लक्ष्य को पूरा किया जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों के लिए प्रतिपूरक वनीकरण के लिए भूमि बैंक का निर्माण किया जाए ताकि इन ब्लॉकों के विकास के दौरान प्रतिपूरक वनीकरण के लिए भूमि उपलब्धता में कोई बाधा न आए।
बैठक के दौरान विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए कार्यों की प्रस्तुति दी। श्री एस. भट्टाचार्य, महानिदेशक, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में बॉक्साइट, सोना, तांबा, ग्लॉकोनाइट, ग्रेफाइट, बेस मेटल्स, हीरा, लिथियम, आरईई, पीजीई, फॉस्फोराइट, फ्लोराइट आदि जैसे बड़े खनिज संसाधन हैं और इन खनिजों के लिए अन्वेषण गतिविधियां की जा रही हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में छत्तीसगढ़ में लगभग 25 खनिज ब्लॉकों की अन्वेषण गतिविधियां चल रही हैं।
श्री संजय कंकाने, संयुक्त निदेशक, डीजीएम ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए डीजीएम द्वारा 12 अन्वेषण प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है जिनमें 01 मैंगनीज ब्लॉक, 01 ग्रेफाइट ब्लॉक, 03 चूना पत्थर ब्लॉक, 05 लोहे के अयस्क ब्लॉक और 02 बॉक्साइट ब्लॉक शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एनएमईटी ने 02 एनपीईए के प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी है, जिनमें 01 लिथियम और 01 ग्रेफाइट के लिए है।
इसी तरह, अन्य अन्वेषण एजेंसियों ने भी लगभग 44 प्रस्तावों/परियोजनाओं में 10 विभिन्न खनिजों के अन्वेषण की योजना बनाई है। इनमें 02 फॉस्फोराइट, 05 सोना, 06 ग्लॉकोनाइट, 11 आरईई (लिथियम, टैंटलम आदि), 01 सीसा-ज़िंक, 01 फॉस्फेट, 05 बॉक्साइट, 09 लोहे के अयस्क, 02 तांबा, 01 ग्रेफाइट और 01 लिथियम शामिल हैं।
इस बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य में खनिज अन्वेषण गतिविधियों की प्रगति और आगामी योजनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञों और अधिकारियों ने अपने विचारों और सुझावों को साझा किया, जिससे राज्य के खनिज संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सके।
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