नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन (AIKKMS) की अखिल भारतीय समिति के अध्यक्ष सत्यवान और महासचिव शंकर घोष ने आज, 23 जुलाई को एक प्रेस बयान में केंद्रीय बजट 2024-25 पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सत्यवान और घोष का कहना है कि 2024-25 का केंद्रीय बजट पूरी तरह से जन-विरोधी, किसान-विरोधी और एकाधिकार-परस्त है। इस बजट में किसानों की समस्याओं का कोई ठोस समाधान पेश नहीं किया गया है और यह केवल खोखले वादों से भरा हुआ है।
मुख्य बिंदु:
1. किसानों की मांगें:
– MSP की कानूनी गारंटी: किसानों की मांग है कि सी2+50% फार्मूले पर उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कानूनी रूप से सुनिश्चित किया जाए।
– बिजली बिल-2023 का निरसन: किसानों ने बिजली बिल-2023 को निरस्त करने की मांग की है।
– मनरेगा को मजबूत करना: मनरेगा योजना को मजबूत और व्यापक बनाने की जरूरत है।
– कर्ज माफी और पेंशन: किसानों के कर्ज माफी और पेंशन जैसी महत्वपूर्ण मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।
2. सरकार के झूठे दावे:
– केंद्र सरकार दावा करती है कि वे कृषि उपज का MSP उत्पादन लागत के 50% से अधिक दे रहे हैं, जो कि सरासर झूठ है। घोषित वास्तविक MSP मूल्य C2+50% फार्मूले से काफी कम है।
3. आंदोलन की जरूरत:
– AIKKMS ने किसानों और खेत मजदूरों से आग्रह किया है कि वे अपने अधिकारों और मांगों को प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली देशव्यापी आंदोलन संगठित करें। यह एकाधिकार-परस्त बजट किसानों को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने के लिए मजबूर कर रहा है।
AIKKMS का यह बयान किसानों के संघर्ष और उनकी जायज मांगों को दर्शाता है। किसानों की समस्याओं का समाधान करना और उनकी मांगों को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जन-विरोधी और किसान-विरोधी बजट के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करने की जरूरत है ताकि किसानों के हक की आवाज मजबूत हो सके।
इस बजट का सटीक और निष्पक्ष विश्लेषण हमें यह समझने में मदद करता है कि किसानों की समस्याएं किस हद तक अनदेखी की गई हैं और किस प्रकार यह बजट उनके लिए निराशाजनक साबित हो रहा है।
जनता की आवाज को दबने न दें, अपने हक की लड़ाई खुद लड़ें।
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