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नए आपराधिक कानूनों का विरोध: ट्रेड यूनियनों ने सरकार से वापसी की मांग की!

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। 01 जुलाई 2024 को लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों का विरोध तेज हो रहा है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने इन कानूनों को वापस लेने और पहले के कानूनों को लागू करने की मांग की है।
कानूनों में क्या खामियां हैं?
बिना उचित परामर्श और संसदीय समिति की अनदेखी: इन कानूनों को लाने से पहले न तो उचित परामर्श किया गया और न ही संसदीय समिति की सिफारिशों पर ध्यान दिया गया।
  पुराने कानूनों की पुनरावृत्ति: ये कानून ब्रिटिश काल के पुराने कानूनों को बदलने का दावा करते हैं, लेकिन इनमें पहले के सभी प्रावधान बरकरार हैं, और कुछ प्रावधानों को और भी सख्त बना दिया गया है।
  अस्पष्टता और कानूनी जटिलताएं: विभिन्न धाराओं को फिर से क्रमांकित किया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे पहले से ही लंबित मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है।
  मनमानी पुलिस शक्तियां: एसएचओ को एफआईआर दर्ज करने की मनमानी शक्तियां दी गई हैं। पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिनों से बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है।
  शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर कार्रवाई: पुलिस को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और अपनी मांगों के लिए हड़ताल करने वाले श्रमिकों के खिलाफ मामला दर्ज करने का अधिकार दिया गया है।
  हिंदी भाषा का थोपना: गैर-हिंदी भाषी लोगों पर हिंदी भाषा थोपी जा रही है, जो संविधान का उल्लंघन है।
ट्रेड यूनियनों की मांगें:
  नए कानूनों को वापस लें: ट्रेड यूनियनों ने सरकार से इन तीनों नए आपराधिक कानूनों को वापस लेने की मांग की है।
  पहले के कानूनों को लागू करें: उन्होंने यह भी मांग की है कि पहले के कानूनों को ही लागू किया जाए।
  सार्वजनिक चर्चा: किसी भी नए कानून को लागू करने से पहले उस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा की जानी चाहिए।

इन नए आपराधिक कानूनों को लेकर कई आशंकाएं हैं। इनका इस्तेमाल सरकार द्वारा असंतुष्टों को दबाने और नागरिक स्वतंत्रता को कम करने के लिए किया जा सकता है। कानूनों में अस्पष्टता और जटिलताएं हैं, जिससे उनका दुरुपयोग होने की संभावना है। ट्रेड यूनियनों की मांगें जायज़ हैं और सरकार को उन पर विचार करना चाहिए।
यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित करता है। इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाना और सरकार पर दबाव बनाना महत्वपूर्ण है ताकि वे इन कानूनों को वापस लें।

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