छत्तीसगढ़/कांकेर (पब्लिक फोरम)। स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली चोरी रोकने का दावा किया जा रहा है, लेकिन असल में यह कदम गरीब जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने और निजी कंपनियों को मुनाफा कमाने का अवसर देने के लिए उठाया गया है। राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने अपने बयान में यह बात कही।
सुखरंजन नंदी ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद उपभोक्ताओं को बिजली उपयोग करने से पहले ही भुगतान करना होगा, जबकि अभी तक उपभोक्ता पहले बिजली का उपयोग कर बाद में बिल का भुगतान करते थे। इस नए नियम से गरीब उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे अपनी सुविधा अनुसार बिल का भुगतान करते थे, जो अब संभव नहीं होगा।
मजदूर नेता ने केंद्र की मोदी सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने देश भर में घरेलू और व्यापारी उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगाने का निर्णय लिया है, जबकि उद्योगों को इससे बाहर रखा गया है। एक स्मार्ट मीटर की कीमत लगभग 8000 रुपये है, और पूरे देश में इसे लगाने पर अरबों रुपये खर्च होंगे, जो स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों के पास जाएंगे। छत्तीसगढ़ में ही इस योजना पर 4000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो रहा है, जबकि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर मात्र 1500 करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है।
कॉमरेड नंदी ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने से कई कर्मचारियों के रोजगार खत्म हो जाएंगे। मीटर रीडिंग करने वाले और बिल संग्रहण करने वाले कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट आ जाएगा। भले ही शुरुआत में उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा, लेकिन भविष्य में इन पदों को समाप्त कर दिया जाएगा।
यूनियन ने स्मार्ट मीटर लगाने के फैसले का विरोध करते हुए जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाने और संघर्ष करने का निर्णय लिया है।
स्मार्ट मीटर से बढ़ेगा जनता पर बोझ, निजी कंपनियों को मिलेगा मुनाफा
RELATED ARTICLES
Recent Comments