गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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नए आपराधिक कानूनों पर रोक की मांग: बिहार के सांसदों की राष्ट्रपति से गुहार

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। बिहार से नवनिर्वाचित सांसद राजा राम सिंह (करकट) और सुदामा प्रसाद (आरा) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से एक महत्वपूर्ण अपील की है। उन्होंने 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय दंड संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है।
ये नए कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता, 1860; दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे। सांसदों का मानना है कि इन नए कानूनों का नागरिक स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
प्रमुख चिंताएं
1. नागरिक अधिकारों पर आघात:
   नए कानूनों में ऐसे कठोर प्रावधान हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा का अधिकार, विरोध प्रदर्शन का अधिकार और अन्य मौलिक नागरिक अधिकारों को सीमित कर सकते हैं।
2. पुलिस की बढ़ती शक्तियां:
   पुलिस को बिना पर्याप्त कारण के गिरफ्तारी, निरोध और पूछताछ की व्यापक शक्तियां दी गई हैं, जो दुरुपयोग की संभावना बढ़ाती हैं।

3. भीड़ हिंसा पर अपर्याप्त नियंत्रण:
   मॉब लिंचिंग जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए गए हैं। साथ ही, धार्मिक आधार पर होने वाली हिंसा को विशेष श्रेणी में नहीं रखा गया है।
4. मानवाधिकारों का उल्लंघन:
   हथकड़ी और एकांत कारावास जैसे कठोर दंडों को वैधता प्रदान की गई है, जो मानवाधिकारों के सिद्धांतों के विपरीत है।

5. न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव:
   पहले से ही लंबित मामलों से जूझ रही न्यायिक व्यवस्था पर इन नए कानूनों के कारण और अधिक बोझ बढ़ने की आशंका है।

सांसदों की मांगे

– इन कानूनों के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
– इन कानूनों की व्यापक और निष्पक्ष समीक्षा की जाए।
– जनता, विधि विशेषज्ञों और नागरिक समाज संगठनों से विस्तृत परामर्श के बाद ही इन्हें पुनः प्रस्तुत किया जाए।

भाकपा (माले) के इन सांसदों ने बिहार के नागरिकों और समस्त देशवासियों को आह्वान किया है कि वे इन नए आपराधिक कानूनों के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठाएं और सरकार से इन कानूनों के निरस्तीकरण की मांग करें।

– इन कानूनों के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
– इन कानूनों की व्यापक और निष्पक्ष समीक्षा की जाए।
– जनता, विधि विशेषज्ञों और नागरिक समाज संगठनों से विस्तृत परामर्श के बाद ही इन्हें पुनः प्रस्तुत किया जाए।

भाकपा (माले) के इन सांसदों ने बिहार के नागरिकों और समस्त देशवासियों को आह्वान किया है कि वे इन नए आपराधिक कानूनों के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज उठाएं और सरकार से इन कानूनों के निरस्तीकरण की मांग करें।

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