रायपुर (पब्लिक फोरम)। अडानी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के पावर प्लांट को लेकर ग्रामीणों का विरोध बढ़ते जा रहा है। 22 जून को होने वाली प्रशासनिक जनसुनवाई को रद्द करने और ग्रामसभा में चर्चा के माध्यम से समस्या का समाधान करने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ ग्राम विकास एकता समिति, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा आदि संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है।
ग्रामीणों की मांगें
किसानों की जमीन का उचित मुआवजा और रोजगार: किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन का अधिग्रहण कम दामों में किया गया है और उन्हें रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं दिए जा रहे हैं।
ग्रामसभा में चर्चा: ग्रामीणों का कहना है कि उनकी समस्याओं का समाधान ग्रामसभा में ही हो सकता है, कलेक्टर की जनसुनवाई में नहीं।
पंचायती राज का सम्मान: उनका तर्क है कि पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद कलेक्टर द्वारा जनसुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
कारखाना, श्रम और पर्यावरण कानूनों का पालन: ग्रामीणों ने कारखाना अधिनियम 1948, श्रम अधिनियम और पर्यावरण अधिनियम का पालन करने की मांग की है।
सीएसआर फंड का सदुपयोग: सीएसआर फंड का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार और मूलभूत जनहित योजनाओं में किया जाना चाहिए।
रोजगार में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता: कंपनी में 80% स्थानीय और 20% बाहरी मजदूरों को रोजगार दिया जाना चाहिए।
पानी की व्यवस्था: कंपनी द्वारा किसानों के लिए भी पीने और सिंचाई की उचित व्यवस्था की जाए।
ग्रामीणों का अल्टीमेटम
अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता है, तो सभी संगठन मिलकर संयुक्त विरोध आंदोलन करेंगे। यह मामला ग्रामीणों और अडानी कंपनी के बीच टकराव का रूप ले सकता है। सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों के बीच समझौता कराना चाहिए।
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