राज्यपाल के नाम पत्र में उचित बसाहट और रोजगार की समस्याओं का उल्लेख
कोरबा (पब्लिक फोरम)। एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की दीपका परियोजना के विस्तार के कारण उचित पुनर्वास, रोजगार की समस्याएं और मुआवजा संबंधी विषमताएं भू-विस्थापित परिवारों के सामने आ रही हैं। इन समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए प्रभावित आदिवासी भू-विस्थापितों ने एसईसीएल और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है ताकि मुआवजा निर्धारण में हुई अनियमितताएं उजागर हो सकें।
राज्यपाल को प्रेषित ज्ञापन पत्र में पीड़ित अभिषेक कंवर और लोकेश कुमार ने आरोप लगाया है कि उनके परिसंपत्तियों का मुआवजा चार गुना अधिक दिया जाना था, लेकिन निर्देश का उल्लंघन किया गया है। उनके मकान के मुआवजे का निर्धारण नियमानुसार नहीं किया गया और उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देशानुसार मुआवजा राशि चार गुना दी जानी चाहिए थी, लेकिन उन्हें कम मुआवजा मिला है। जिससे ग्राम मलगांव में तनाव का माहौल बना हुआ है।
मुआवजा में गड़बड़ी और प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप
ज्ञापन में नरईबोध गोलीकांड की घटना का जिक्र करते हुए पीड़ितों ने एसईसीएल के सीजीएम अमित सक्सेना, डिप्टी जीएम मनोज कुमार, नोडल अधिकारी मिथेश मधुक, और तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह पर मुआवजा में पक्षपात के आरोप लगाए हैं। उन्होंने सभी जिम्मेदार अधिकारियों का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है। शिकायतें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस मुख्यालय, कमिश्नर, जिला कलेक्टर और एसपी को भेजी गई हैं।
SECL की न्यायालय अवमानना और बलपूर्वक समतलीकरण का आरोप
कोरबा जिले में दीपका विस्तार परियोजना के लिए प्रभावित ग्राम सुआभोड़ी और मलगांव के भू-विस्थापितों और एसईसीएल प्रबंधन के बीच तनातनी बनी हुई है। पीड़ित लोकेश कुमार ने बताया कि उसकी भूमि पर उच्च न्यायालय का आदेश होने के बावजूद खनन प्रक्रिया जारी रखी गई। इसके विरोध में दीपका और हरदीबाजार थाना में शिकायत की गई है।
मुआवजा और नोटिस बिना बलपूर्वक समतलीकरण का आरोप
विनय कुमार राठौर ने राज्यपाल को शिकायत की है कि उनकी भूमि और मकान का मुआवजा बिना नोटिस के बलपूर्वक समतलीकरण किया गया। विनय कुमार का आरोप है कि उन्हें मुआवजा नहीं मिला और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने मलगांव और सुआभोड़ी में निर्मित मकानों और भूमि का मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है।
इस पूरे मामले में आदिवासी भू-विस्थापितों ने एसईसीएल और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है और राज्यपाल से न्याय की मांग की है।
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