गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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मानवता की पुनःस्थापना: देश और विश्व को बचाने की दिशा में!

मानवता लाओ, देश बचाओ! मानवता का संदेश हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही जाति से हैं – मानव जाति। जैसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियाँ होती हैं, वैसे ही मनुष्यों में भी विभिन्न प्रकार के स्वभाव और गुण होते हैं। इन गुणों का विकास समय, परिस्थिति और स्थिति के अनुसार होता है। मनुष्यों की मूल प्रकृति प्रेम, दया, करुणा, सेवा और शांति से निर्मित होती है। लेकिन स्वार्थ, लोभ, अहंकार और घृणा के कारण मनुष्य अपनी मूल प्रकृति से भटक जाता है और दुख और विषाद की स्थिति निर्मित करता है, जिससे वह अमानवीय जीवन की ओर अग्रसर हो जाता है। इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है।

महापुरुषों ने अज्ञानता को दुख का कारण बताया है। यहाँ अज्ञानता से तात्पर्य है – अपनी मूल प्रकृति से अनभिज्ञता। यह संसार आदिकाल से ही मानव द्वारा संचालित है, जिसमें धरती पर एक सुव्यवस्थित जीवन जीने का मार्ग बताया गया है। लेकिन हम प्राकृतिक फूलों की सुगंध की बजाय कृत्रिम फूलों में खुशबू ढूंढ रहे हैं, जो संभव नहीं है। हमने प्रकृति से दूरी बना ली है और अपने पूर्वजों के सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया है, जिससे मानवता का पतन हो रहा है।

हमारी जिम्मेदारी है कि हम मानवता को पुनःस्थापित करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण भविष्य सुनिश्चित करें। अपने स्वार्थ, लोभ और पशुत्व से ऊपर उठकर हमें मानव कल्याण के लिए काम करना होगा। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी, चाहे वह संस्कारों के लिए हो, पर्यावरण की दुष्टता के लिए हो या अमानवीयता के लिए हो।

सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि सम्पूर्ण विश्व में, चाहे वह किसी भी देश, धर्म या जाति का हो, सबसे पहले मानव है। हमारा कर्तव्य मानव कल्याण होना चाहिए। मानव अपने विचार, धर्म और स्थान के आधार पर विभाजित है और एक-दूसरे को नीचा दिखाने, नष्ट करने और अपमानित करने की अमानवीय विचारधारा से ग्रसित है। इससे उठकर एक-दूसरे के कल्याण की भावना से ही विश्व का निर्माण संभव है।

आइए, हम सभी मिलकर मानवता को पुनःस्थापित करें और अपने देश और विश्व को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएं। 

(आलेख : प्रभुदास प्रभात)

(लेखक भारत एल्युमिनियम कंपनी बालको में कार्यरत हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

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