धार्मिक विविधता के संरक्षण की मांग
छत्तीसगढ़/बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। गुरु घासीदास सेवादार संघ (जीएसएस) ने एक बयान जारी कर बताया है कि सरकार द्वारा विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की जानकारी एकत्रित करने में गंभीर कमियां रही हैं। संघ ने आरोप लगाया है कि सतनाम धर्म के अनुयायियों की पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है।
सतनाम धर्म के अनुयायियों ने इस मामले में न्याय पाने के लिए स्थानीय और जिला प्रशासन को आवेदन दिया है, साथ ही जीएसएस से भी न्याय दिलाने की पहल करने का आग्रह किया है।
बयान में निम्नलिखित बिंदु उल्लेखित
1. सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से, आधार कार्ड के जरिए, पोषण ट्रैकर परिवार सर्वेक्षण के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा रहा है।
2. इस सर्वेक्षण में धर्म के विवरण के लिए एक कॉलम है, जिसमें (1) हिंदू (2) मुस्लिम (3) ईसाई (4) सिख (5) बौद्ध (6) जैन और अंत में (7) अन्य विकल्प दिया गया है।
3. आधार कार्ड बनवाते समय धर्म का विवरण नहीं लिया जाता है। इसलिए सर्वेक्षक को प्रत्येक व्यक्ति से पूछना चाहिए कि वह किस धर्म का अनुयायी है।
4. लेकिन सर्वेक्षक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों से यह नहीं पूछ रहे हैं कि वे किस धर्म को मानते हैं।
5. गुरु घासीदास द्वारा प्रवर्तित सतनाम धर्म के अनुयायियों को उपरोक्त सूची में नहीं दिखाया गया है। इसलिए उन्हें “अन्य” श्रेणी में दर्ज किया जाएगा, यह भी निश्चित नहीं है।
6. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनके धर्म के विवरण को किस प्रकार दर्ज किया गया है। वे मांग कर रहे हैं कि यदि उन्हें “हिंदू” धर्म के रूप में दर्ज किया गया है, तो इसे हटाकर “अन्य” श्रेणी में दर्ज किया जाए और इसकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रदान किया जाए।
7. बिना पूछे उनके धर्म को गलत दर्ज करना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
8. यह उनकी धार्मिक पहचान का मुद्दा है और इस पर गंभीरता से कार्रवाई की जानी चाहिए।
9. जीएसएस ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने, जन आंदोलन करने और यदि आवश्यक हो तो न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।
इस मुद्दे को लेकर सतनाम धर्म के अनुयायियों के अलावा आदिवासी समाज (जो कि अपने आप को हिंदू नहीं मानते) में भी गहरा रोष व्याप्त है। क्योंकि धार्मिक विविधता के संरक्षण और सम्मान की मांग को सरासर नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार को इस मामले में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और सभी धर्मों के अनुयायियों का आदर करना चाहिए। और धर्म गणना की प्रक्रिया को सही तरीके से एवं पारदर्शिता के साथ लागू किया जाना चाहिए।
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