संविधान और आदिवासी अधिकार: सर्व आदि दल का सार
“सर्व आदि दल की प्रेस वार्ता”
कोरबा (पब्लिक फोरम। देश के सर्वोच्च कानून, भारतीय संविधान की रक्षा और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए सर्व आदि दल का गठन किया गया है। इस नवगठित राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने कोरबा में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रमुख राजनीतिक पार्टियां समाज हित के कार्य नहीं कर रही हैं। विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाईयों को लक्षित किया जा रहा है।
पन्नालाल ने बताया कि चार महीने पहले ही सर्व आदि दल का गठन इसी अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी गरीबी और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी।” विधानसभा चुनाव में सरगुजा से उनके उम्मीदवार को लाखों वोट मिले थे, जिसके बाद इस लोकसभा चुनाव में पांच उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे।
संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन होना सर्व आदि दल की प्रमुख चिंताओं में से एक है। पन्नालाल ने कहा, “संविधान लागू होते ही उसका उल्लंघन शुरू हो गया। आपातकालीन स्थितियों में राष्ट्रपति अध्यादेश लाए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें 7 दिनों के भीतर लोकसभा में रखा जाना आवश्यक है। ऐसे अध्यादेशों की अवधि केवल छह महीने होती है। लेकिन 1950 में एक अध्यादेश के माध्यम से मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों का धर्म के आधार पर आरक्षण समाप्त कर दिया गया, जिसे आज भी लागू किया जा रहा है, जबकि यह लोकसभा में कभी नहीं लाया गया।”
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पन्नालाल ने आदिवासियों को संवैधानिक रूप से मिलने वाले अधिकारों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों के स्वशासन के अधिकार लिखे गए हैं, लेकिन उन्हें कभी नहीं दिया गया। अब ग्राम सभा से ‘अनुमति’ लेने को बदल कर केवल ‘परामर्श’ लेने तक सीमित कर दिया गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “संविधान समानता का अधिकार देता है। लेकिन जब आदिवासी आधुनिकता और विकास की ओर बढ़ते हैं, तो उन्हें मारपीट और अपमान का सामना करना पड़ता है। उन्हें पूर्वजों की रूढ़िवादी परंपराओं में कैद रखा जाता है।”
अन्य मुद्दों पर बोलते हुए, पन्नालाल ने कहा कि आदिवासियों को पुलिस सुरक्षा और न्याय नहीं मिलता है। वे जबरन धर्म परिवर्तन, हत्या, नरसंहार, बलात्कार, लूट और हमलों का सामना करते हैं। वनाचलों में मेडिकल और शैक्षणिक व्यवस्था बहुत खराब है। धर्म परिवर्तन विरोधी कानून संविधान की आत्मा को कुचलते हैं और नए विचारों को अपनाने से रोकते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े राजनीतिक दल समाजों और धर्मों को आपस में लड़वाते हैं। दलबदल करने पर भी संसद सदस्यता समाप्त नहीं की जाती है और संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जाता है।
पन्नालाल ने कहा, “सर्व आदि दल इन त्रुटियों को सुधारने के लिए चुनावी मैदान में है। हमारा दल धन की कमी से जूझ रहा है, लेकिन 100 रुपये का भी योगदान हमारे लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में धर्म परिवर्तित लोगों की संख्या लगभग 2.5 लाख है और उन तक पहुंचने का विशेष प्रयास किया जाएगा।
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