कोरबा: (पब्लिक फोरम)। माकपा की अंदरूनी विवाद बढ़ते ही जा रहा है। दो सप्ताह पहले पार्टी के कांकेर इकाई के पार्टी सदस्यों के इस्तीफा के बाद अब कोरबा से भी भारी संख्या में पार्टी सदस्यों ने पार्टी नेतृत्व पर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगाकर पार्टी से अलग हो गए हैं।
दोनो ही इकाईयों के पार्टी सदस्यों ने मुख्य आरोप संजय पराते पर ही लगाया है। हालाकि कोरबा में संजय पराते के साथ प्रशांत झा एवं व्ही एन मनोहर जो कोयला श्रमिक संघ सीटू के महासचिव है उन पर भी आरोप जड़ दिए गए हैं।
कयास यह लगाया जा रहा है कि यह इस्तीफा देने का सिलसिला और बढ़ सकता है क्योंकि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ़ बस्तर से लेकर सरगुजा तक आम कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। खास कर संजय पराते के खिलाफ अनेको जगह से पार्टी के नाम से अवैध वसूली करने का आरोप है और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व इन आरोपों को नजरंदाज कर रही है जिसका खामियाजा पार्टी को चुकाना पड़ सकता है।
नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर पार्टी के एक राज्य समिति सदस्य ने कहा कि संजय पराते पार्टी के होल्टाइमर है,जिन्हे पार्टी से माह में 4000 रूपये मानदेय मिलता है लेकिन रायपुर में संजय पराते तीन मकान के मालिक है इसके अलावा भी प्रदेश के अलग अलग जिलों में उनके संपत्ति होने की भी जानकारी है।उसी तरह प्रशांत झा जिसके पास कोई आय का साधन नही है उनके जीवनशैली का मान इतने ऊंचे कैसे हो सकता है।पार्टी इन बातों को अगर ध्यान नहीं देगी तो और भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
हो सकता है पार्टी के पार्षद भी भविष्य में पार्टी से इस्तीफा दे दे।




सूत्रो के मुताबिक कोरबा जिला से और भी पार्टी सदस्य पार्टी से अपने आपको अलग कर लेंगे।जिला में प्रशांत झा की गतिविधि पूरी तरह से संदिग्ध है और पार्टी के एक हिस्सा का मानना है कि वह पूरी तरह से पार्टी के नाम पर अधिकारियों और ठेकेदारों से ब्लेकमेलिंग कर अवैध वसूली करते हैं।
पार्टी को इस वगाबत को रोकने के लिए कार्यकर्ताओं की बातों को सुनना होगा।अगर यही सिलसिला चलता रहा तो हो सकता है अन्य जिलों के पार्टी सदस्य भी पार्टी से अपनी नाता तोड सकते हैं।
माकपा जो एक ईमानदार और अनुशासित पार्टी होने का दंभ भरती है उसके भी असली चेहरा अब जनता के सामने आने लगी है।इस पार्टी में भी अन्य बुर्जुआ पार्टी जैसे लोगो की तूती बोलने लगी है और ईमानदार निष्ठापूर्वक काम करने वाले कार्यकर्ता पार्टी से बाहर होते जा रहे हैं।
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