कोरबा/चोटिया (पब्लिक फोरम)। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) वेदांता ग्रुप की चोटिया खुली कोयला खदान से प्रभावित भूविस्थापित कामगारों की शोषण हो रहा है। कोयला खदानों में निर्धारित वेतन, भत्ते, मेडिकल सुविधाएं तक नही मिल रही है और मांग करने पर जबरदस्ती वीआरएस भरवाकर नौकरी से निकाला जा रहा है। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने भूविस्थापित कामगारों को न्याय दिलाने की मांग कलेक्टर से किया है।

गौरतलब है कि ग्राम चोटिया विकास खण्ड पोड़ी-उपरोड़ा जिला कोरबा छत्तीसगढ़ के किसानों की भूमि कोयला उत्खनन हेतु अधिग्रहित की गई है। पूर्व में यहां पर प्रकाश इंडस्ट्रीज चाम्पा को आबंटित थी और उक्त कंपनी द्वारा कोयला उत्खनन की गई और 2015 से भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड वेदांता ग्रुप कोयला खनन का कार्य कर रही है। चोटिया स्थित इस खुली कोयला खदान में कार्यरत ऐसे भूविस्थापित जिन्हें उनके जमीन अर्जन के एवज में रोजगार दी गयी थी उन्हें भयभीत कर जबरन वी.आर.एस लेकर नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।

जिसके कारण अधिकांश लोंगो ने वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ दिया, किन्तु वर्तमान समय मे जो कामगार कार्य पर हैं उनको भी प्रताड़ित किया जा रहा है जैसे कि:-
🔺कोल इंडिया द्वारा जारी नियम के अनुसार वेतन, भत्ता मेडिकल सहित अन्य सुविधा नही दी जा रही है।
🔺यहां के भूविस्थापित कामगारों को खदान में काम पर रखने के बजाय उनके गांव से लगभग 60 किमी दूर बी.सी.पी.पी कालोनी जमनीपाली कोरबा में साफ सफाई के कामो में लगाया गया है।
🔺खदान में कार्य करने वाले दूसरे ठेका कामगारों को जहाँ 31 हजार वेतन दिया जाता है, वहीं उक्त भूविस्थापित कामगारों को 18-20 हजार रुपये ही वेतन के रूप में दिया जाता है।
🔺अपने वेतन भत्ते और अन्य सुविधाओं की विधि सम्मत तरीके से मांग करने पर मजदूरों को प्रताड़ित किया जाता है। यहां तक कि कई मजदूरों को निलंबित रखा गया है।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने कलेक्टर कोरबा सहित मुख्यमंत्री, सहायक श्रम आयुक्त, बालको के अधिकारी को शिकायत करते हुए मांग की गई है कि पीढ़ी दर पीढ़ी की जल, जंगल, जमीन को खोने वाले भूविस्थापित किसानों के साथ इस तरह से शोषण को रोकने और वास्तविक अधिकार को दिलाने के लिए कार्यवाही किया जाए। जिससे आद्योगिक अशान्ति उत्पन्न न हो। संगठन ने कहा है यदि भूविस्थापित कामगारों को वाजिब समस्याओं का समाधान नही किया जाता है तो आंदोलन के लिये बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जवाबदारी भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड, वेदांता ग्रुप की चोटिया खुली खदान प्रबन्धन एवं शासन-प्रशासन की होगी।
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