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शनिवार, जुलाई 5, 2025
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बालासोर ट्रेन दुर्घटना के कारणों की जांच, सक्षम एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए: भाकपा-माले

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। बालासोर में भयावह कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटना ने एक बार फिर भारत में रेलवे सुरक्षा त्रासद स्थितियों का खुलासा कर दिया है। ऐसे समय में जब एक तरफ प्रधानमंत्री द्वारा मंहगी ट्रेनों को झंडी दिखाने में करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं, रेल सुरक्षा को तब जर्जर हाल में छोड़ दिया गया है।
न केवल अलग से रेल बजट की परिपाटी बंद कर दी गयी, बल्कि शक्तियां कतर कर रेलवे सुरक्षा के स्वतंत्र निकाय- रेलवे सुरक्षा आयोग (सी आर एस) को भी निष्प्रभावी कर दिया गया है।
रेलवे सुरक्षा के लिए बजट आवंटन एक गंभीर मसला है, जिसकी पिछले कई बजटों से अनदेखी की जा रही है।
हाल में ही भारत के नियंत्रक और महालेखा पपरीक्षक (कैग) ने रेलवे द्वारा सुरक्षा के प्रति बरती जा रही भीषण उपेक्षा की ओर इंगित करते हुए बताया कि रेलवे ने राष्ट्रीय रेलवे संरक्षा कोष का 15 से 20 प्रतिशत धन (लगभग 2300 करोड़ रुपया) गैर प्राथमिकता क्षेत्रों (रेलवे सुरक्षा से इतर) खर्च किया।

कैग ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय रेलवे संरक्षा कोष का बड़ा हिस्सा जो रेल सुरक्षा सुधार के लिए नियत था, उसका उपयोग ही नहीं किया गया। मार्च 2021 की कैग की रिपोर्ट में दर्ज है कि पटरियों के नवीनीकरण के लिए धन उपलब्धता में कमी और उपलब्ध धन के अनुपयोग के कारण 2017-18 से 26 प्रतिशत ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं हुईं.
पीड़ितों और जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस दुर्घटना में खोया है, उनके प्रति जवाबदेही तो सुनिश्चित होनी ही चाहिए।
कोरोमंडल एक्स्प्रेस दुर्घटना की एक स्वतंत्र जाँच, सरकार को रेलवे सुरक्षा आयोग से करवानी चाहिए. रेलवे सुरक्षा आयोग के पर कतरने के बजाय इस आयोग को शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
रेलवे भारत में सबसे बड़ा सेक्टर है, इसलिए यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल बजट को दोबारा शुरू किया जाना चाहिए।

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