छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित बालको प्रबंधन के द्वारा नेहरूनगर बालको के नदी में खुले आम राखड़ बाया जा रहा है और लगता है कि हमारे नेता सहित स्थानीय प्रशासन भी बालको के आगे नतमस्तक हैं।

ज्ञात हो कि बालको संयंत्र से निकलने वाली राखड़ को रोकबहरी राखड़ डेम में जमा किया जाता है, वर्तमान में सभी राखड़ डेम भर चुका है, बालको प्रबंधन के द्वारा डेम के राखड़ को खाली करने के लिए नियम विरुद्ध भारी वाहनों से परिवहन किया जा रहा है, और उक्त राखङ कोरबा शहर के चारो तरफ जहां इनका मर्जी होता है डंप कर दिया जाता है जिसका नतीजा हम आम नागरिकों को राखड़ प्रदूषण का शिकार होकर भुगतना पड़ रहा है।

पूरे शहर को राखड़ से पाट देने के बाद अब बालको प्रबंधन के द्वारा नदियों में इस राखड़ को बहाया जा रहा है। इस बात की शिकायत अनेकों बार पर्यावरण अधिकारी और जिलाधीश महोदय को लिखित रूप से की गई है किंतु बालको प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जा रही है।

अगर प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है तो ये प्रशासन की नाकामी है इसके साथ साथ हमारे स्थानीय जनप्रतिनिधि, मंत्री विपक्षी नेतागण की भी बड़ी नाकामी है क्यों कि आम जनता पांच साल में अपना प्रतिनिधि चुनती है और आज यही प्रतिनिधि बालको प्रबंधन की चौखट पर सर झुकाए खड़े हैं।

साथियों ! जागरुक बनिए और इस बार अनिवार्य रूप से जनप्रतिनिधियों का चुनाव में बहिष्कार कीजिए। जो आपको हम सबको राखड़ की हवा और राखड़-पानी दे रहे है। 05 साल में सिर्फ उंगली में स्याही का निशान लगाने मत जाइए। नकार दीजिए इन जनप्रतिनिधियों को और कुर्सी से उतार फेंकिए।
कोरबा को इस प्रदूषण से बचाना है तो इन नेताओं को कुर्सी से हटाना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस बार कोरबा को राखड़ मुक्त करने के लिए वोट कीजिए।
– अब्दुल नफीस
(लेखक पेशे से वकील एवं जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं)
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