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सोमवार, जुलाई 7, 2025
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कोरबा के पूर्व कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से करोड़ों की ठगी: कलेक्टर संजीव झा ने दिये जांच के आदेश

कोरबा (पब्लिक फोरम)। तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के फर्जी हस्ताक्षर से सैकड़ो ग्रामीणों से करोड़ो रूपये की ठगी किये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जानकारी मिली है कि तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल, डीएफओं, और सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग के फर्जी हस्ताक्षर से सैकड़ो ग्रामीणों को फर्जी वन अधिकार पट्टा बनाकर 30 से 50 हजार रूपयें में बेचे गए हैं। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद अब कलेक्टर संजीव झा ने एसडीएम को जांच कर तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज कराने का निर्देश दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार कोरबा में तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल में जिले में वन अधिकार पट्टा का वितरण किया गया था। लेकिन पट्टा वितरण के बाद पाली विकासखंड में एक गिरोह के द्वारा ग्रामीणों से मोटी रकम लेकर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा बना दिया गया। इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए पूर्व कलेक्टर किरण कौशल सहित पूर्व DFO और पूर्व सहायक आयुक्त के फर्जी हस्ताक्षर से वन अधिकार पट्टा बनाकर करोड़ो रुपए का वारा-न्यारा किया गया।

ऐसे दिया गया फर्जीवाड़े को अंजाम

शासन के द्वारा जारी पट्टा से मिलता-जुलता हूबहू फर्जी पट्टा बनाकर गिरोह द्वारा ग्रामीणों को बेचा गया है। फर्जी पट्टे की जांच के लिए उन्होने उसके सीरियल नंबर की जांच करायी। जिसमें पता चला कि उक्त सीरियल नंबर किसी दूसरे ग्रामीण के नाम पर जारी पट्टा का है। जिसे ठग गिरोह के सदस्यों ने फर्जी पट्टा में दर्ज कर ग्रामीण का नाम दर्ज कर एकड़ो में जमीन का वन अधिकार पट्टा बांट दिए हैं।

जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि फर्जी पट्टा में कलेक्टर, डीएफओं और सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग के सील और हस्ताक्षर में भी काफी अंतर हैं। उन्होने बताया कि जो पट्टा सही था उसमें पूर्व सहायक आयुक्त डी.आर.बंजारे के सील पर उनका नाम भी अंकित था, जबकि फर्जी पट्टा में सिर्फ सहायक आयुक्त का सील लगाया गया। इसकी शिकायत कलेक्टर संजीव झा से की गई हैं। जिस पर कलेक्टर ने तत्काल कटघोरा एसडीएम मनोज खांडे को जांच कर एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया हैं।

करोड़ों रूपये की ठगी का अनुमान

इस फर्जीवाड़े में शामिल गिरोह के सदस्यों ने पाली क्षेत्र के 15 से 20 गांव में सैकड़ो ग्रामीणों के पट्टे तैयार किए गए हैं। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि प्रति एकड़ भूमि के मुताबिक 30 से 70 हजार रूपये तक ग्रामीणों से फर्जी पट्टा बनाने के नाम पर गिरोह के सदस्यों ने पैसे वसूल किए हैं, जो कि करोड़ों में हैं।

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