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अगस्त क्रांति दिवस की 82वीं वर्षगांठ: आज भी प्रासंगिक है ‘भारत छोड़ो’ का संदेश!

आज 9 अगस्त 2024 को हम अगस्त क्रांति के शहीदों और नायकों को याद कर रहे हैं। इस दिन को डॉ. लोहिया ने ‘जनक्रांति दिवस’ कहा था। अगस्त क्रांति के दौरान हजारों राष्ट्रभक्तों ने अपनी जान गवाई और लाखों को गिरफ्तार कर सजा और यातनाएं दी गईं।
आज, देश में सत्ता में बैठी पार्टियों और संगठनों ने आजादी के इस निर्णायक आंदोलन में भाग लेने के बजाय विरोध किया था, अंग्रेजों का साथ दिया था। लेकिन आज ये संगठन राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं और राष्ट्रवाद के झंडाबरदार बने हुए हैं।

‘कॉर्पोरेट भारत छोड़ो’ आंदोलन
आज पूरे देश में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ की तर्ज पर ‘कॉर्पोरेट भारत छोड़ो’ आंदोलन चलाया जा रहा है। देशभर में कॉरपोरेट और अडानी-अंबानी के पुतले जलाए जा रहे हैं। पंजाब के किसानों ने 380 दिन के किसान आंदोलन के पहले तीन महीनों तक 500 स्थानों पर कॉरपोरेट और अडानी-अंबानी के खिलाफ धरना दिया था। कॉर्पोरेट के खिलाफ संघर्ष अब गांव-गांव तक पहुंच गया है।
केंद्रीय श्रमिक संगठनों और देश के अन्य श्रमिक संगठनों ने कारपोरेट लूट के खिलाफ और चार लेबर कोड रद्द करने की मांग को लेकर देशभर में 9 से 14 अगस्त तक आंदोलन चलाने की घोषणा की है।

अगस्त क्रांति: स्वतंत्रता संग्राम का मील का पत्थर
अगस्त क्रांति दिवस की 82वीं वर्षगांठ हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख मील का पत्थर है। 1942 में महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के जरिये ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अंतिम संदेश दिया था। यह आंदोलन ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
डॉ. लोहिया चाहते थे कि 9 अगस्त को इतनी जोरदार तरीके से मनाया जाए कि 15 अगस्त का कार्यक्रम उसके सामने फीका पड़ जाए। लेकिन शासकों ने 9 अगस्त की महत्ता को कभी देशवासियों के सामने नहीं रखा।

1942 का मुंबई कांग्रेस अधिवेशन
अगस्त क्रांति के आंदोलन की खासियत यह थी कि इस आंदोलन के दौरान गांधी जी सहित लगभग सभी जाने-माने कांग्रेस नेता जेल में थे। सभी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भी देश भर में आजादी की चाहत रखने वाली जनता ने खुद इसका नेतृत्व किया।
इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर रेल की पटरियां उखाड़ने, टेलीफोन के तार काटने, प्रशासनिक कार्यालयों और पुलिस थानों पर झंडे फहराने के कार्यक्रम किए गए थे। गांधी जी के अहिंसा के प्रति आग्रह का प्रभाव था कि आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ हिंसा नहीं की।

स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियाँ
1942 के आंदोलन में शामिल रहे डॉ. जी जी परीख आज भी हर वर्ष मुंबई के चौपाटी से अगस्त क्रांति मैदान तक पैदल मार्च करते हैं। डॉ. परीख कहते हैं कि आज का समय तब के समय से भी ज्यादा कठिन है क्योंकि आज के जो लोग सत्ता में बैठे हैं, वे धर्म के आधार पर अंग्रेजों से भी ज्यादा जुल्म कर रहे हैं।
डॉ. जी जी परीख चाहते हैं कि देश में फिर अगस्त क्रांति जैसा माहौल बने। 1942 में देश का हर दूसरा-तीसरा नौजवान देश को बचाने के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार था। आज भी उसी तैयारी की जरूरत है।

डॉ. परीख की यादें और अनुभव
डॉ. जी जी परीख बताते हैं कि मुंबई के लोकप्रिय समाजवादी मेयर यूसुफ मेहेर अली को गिरफ्तारियां होने की सूचना मिल गई थी, इसलिए उन्होंने सभी सोशलिस्टों को भूमिगत होने की सलाह दी थी। 9 अगस्त की सुबह सभी प्रमुख कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
जी जी परीख बताते हैं कि वर्ली जेल में रोज सुबह बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लाया जाता था और अधिकतर को शाम तक छोड़ दिया जाता था। आंदोलन के दौरान जी जी को जेल में तीन नए संगठन बनाने का निर्णय लिया गया था – राष्ट्रीय मज़दूर सभा, इंडियन नेशनल थियेटर और स्टूडेंट कांग्रेस।

आज भी प्रासंगिक है ‘नफरतों भारत छोड़ो’ का नारा
अगस्त क्रांति का लक्ष्य किसानों और मजदूरों की मुक्ति हासिल करना था। आज 9 अगस्त 2024 को, डॉ. जी जी परीख के नेतृत्व में बाल गंगाधर तिलक और विठ्ठल भाई पटेल की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर चौपाटी से अगस्त क्रांति मैदान तक मौन जुलूस निकाला जाएगा। इस बार ‘नफरतों भारत छोड़ो’ का नारा बुलंद किया जाएगा।
आइए, हम अगस्त क्रांति के शहीदों को याद करते हुए उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लें।
प्रस्तुति: डॉ. सुनीलम
(राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान संघर्ष समिति, पूर्व विधायक)

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