दीपका/गेवरा (पब्लिक फोरम) । एसईसीएल के अधिकारियों की उदासीनता और जिला प्रशासन के द्वारा भूविस्थापितों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए अपेक्षित दबाव नहीं डालने के कारण भूविस्थापित उपेक्षितों का जीवन जी रहे हैं।
आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके भूविस्थापितों ने ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले 3 अक्टूबर से जारी आंदोलन के अगले क्रम में आज दीपका परियोजना खदान में उत्पादन ठप कर दिया। इसी तरह 3 अन्य परियोजनाओं में भी निधारित दिवस पर उत्पादन बंद कराया जाएगा। बात नहीं बनी तो चारों परियोजनाओं को अनिश्चितकाल के लिए बंद कराने की कमर कस ली गई है। भूविस्थापितों का आक्रोश तो इस कदर है कि आज आंदोलन के दौरान प्रशासन, पुलिस और एसईसीएल के अधिकारियों की बारंबार की रही विनती को भी नजरंदाज कर दिया गया। आंदोलनकारी सुबह 8 बजे से 5 बजे तक खदानबंदी के लिए उत्पादन क्षेत्र में डटे ही रहे।
अपनी 15 सूत्रीय मांगों का निराकरण के लिए ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले व अध्यक्ष सपुरन कुलदीप के नेतृत्व में सुबह से ही प्रभावित लोग खदान के निकट एकत्र होने लगे। 8 बजे सभी ने खदान क्षेत्र में प्रवेश किया और शाम 5 बजे तक यहां उत्पादन और परिवहन को पूरी तरह ठप्प करा दिया। आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में एसईसीएल के सुरक्षा कर्मी, जिला पुलिस बल के अधिकारी व जवान तैनात रहे। अंतत: एसईसीएल व प्रशासन द्वारा समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप एवं पदाधिकारियों से चर्चा कर मुख्यालय स्तर के अधिकारियों से वार्ता का समय तय किया गया। मंगलवार को प्रात: 11 बजे गेवरा हाउस में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ बैठक कराई जाएगी जिसमें डायरेक्टर पर्सनल, डायरेक्टर टेक्निकल, जीएम मैन पॉवर आदि शामिल होंगे।
आज के आंदोलन में जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद पटेल, जनपद सदस्य उत्तम पटेल, ग्राम सरपंच मलगांव धनकुंवर, अमगांव बृजकंवर, करतली जयपाल सिंह कुशरो, ढपढप शिवनारायण, अरदा श्रवण कुमार, शुक्लाखार देवेन्द्र सिंह, सुवाभोड़ी मीना जगत, बेलटिकरी बसंत कंवर, उपसरपंच संतोष, सिरकीखुर्द सरपंच विजय श्याम, खोडरी प्रताप सिंह कंवर के अलावा रविन्द्र जगत, अनसुईया राठौर, प्रकाश कोर्राम, विजय श्याम, मनीराम भारती, विजय पाल सिंह ठाकुर, संतोष दास महंत, कुलदीप सिंह राठौर, ललित महिलांगे, जगदीश पटेल, रुद्र दास महंत, कुसमुंडा से बृजेश श्रीवास, प्रताप सिंह कंवर, ध्रुव कुमार, धरम सिंह कंवर, हीरालाल कंवर, अंजोर साय पटेल, बसंत कुमार यादव, भरत पटेल, गजेंद्र सिंह ठाकुर, अर्जुन वस्त्रकार, राजू यादव, गीताबाई, सगुना बाई, तीज कुंवर, रामकुमार, भुजबल बिंझवार, हरीश यादव, सुभाष यादव सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए।
*उम्र गुजर रही पर नौकरी का पता नहीं
कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहण किए हुए वर्षों बीत गए लेकिन अधिकांश विस्थापित आज भी नौकरी की राह ताक रहे हैं। पात्रता संबंधी तमाम दस्तावेज पूर्ण होने एवं हर स्तर पर सत्यापन के बाद भी नौकरी नहीं लग रही और अनेकों की तो अब नौकरी करने की उम्र भी खत्म होती जा रही है। आखिर समय पर नौकरी नहीं मिलने से पात्र भूविस्थापित और उसके परिवार को हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई कौन करेगा? अपात्रों को तवज्जो और पात्रों को उपेक्षित करने के रवैए से भूविस्थापितों में सुलग रही आक्रोश की चिंगारी अब भड़कने लगी है।
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