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शुक्रवार, जनवरी 31, 2025
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गणतंत्र की 76वीं वर्षगांठ: श्रमिकों के अधिकारों पर विमर्श, सरकार की नीतियों पर सवाल

भिलाई (पब्लिक फोरम)। संविधान और गणतंत्र की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स-ऐक्टू द्वारा 26 जनवरी को “गणतंत्र की 76वीं वर्षगांठ और श्रमिकों की स्थिति” विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन जुबली पार्क, सेक्टर-6, भिलाई में किया गया। इस बैठक में स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संविधान की उद्देशिका का सामूहिक पाठ किया गया।

बैठक में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे
बैठक का संचालन बृजेन्द्र तिवारी ने किया और अधिवक्ता यूसुफ, दिलीप उमरे, श्यामलाल साहू, देवानंद चौहान, अब्दुल अजीम, आर.पी. गजेंद्र, मुक्तानंद साहू, वासुकी प्रसाद उम्मत समेत अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखी। वक्ताओं ने श्रमिक अधिकारों और लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने का संघर्ष सीधे मेहनतकश वर्ग से जुड़ा है। संविधान ने श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कानून बनाए हैं, लेकिन मौजूदा सरकार ने इन अधिकारों पर चोट की है।

मोदी सरकार पर आरोप
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने श्रमिक वर्ग के लिए बने 39 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम कोड में तब्दील कर दिया, जिससे मजदूर हितों पर गहरा आघात हुआ है। सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक और जातीय उन्माद फैलाकर श्रमिकों के अधिकारों को कुचलने की कोशिश की जा रही है।

वक्ताओं ने कहा, “सरकार के कार्पोरेट समर्थक नीतियों के कारण बढ़ती आर्थिक असमानता, भयावह बेरोजगारी, सार्वजनिक सेवाओं में कटौती और धार्मिक उन्माद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे बन गए हैं।”

संविधान बचाने की अपील
बैठक में जोर दिया गया कि संविधान और लोकतंत्र बचाने का संघर्ष केवल श्रम-कानूनों की बहाली तक सीमित नहीं है, बल्कि शोषणकारी ठेका मजदूरी प्रथा को समाप्त करने और श्रमिकों के अधिकारों की पुनर्प्राप्ति का आंदोलन है।

आगामी सम्मेलन की तैयारी
बैठक में दिल्ली में 24 से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाने की अपील की गई। इस सम्मेलन के जरिए श्रमिक अधिकारों की रक्षा, सामाजिक सुरक्षा और समानता के लिए संघर्ष तेज करने की रणनीति बनाई जाएगी।
बैठक के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि संविधान और श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट संघर्ष आवश्यक है। वक्ताओं ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे लोकतंत्र और अधिकारों की रक्षा के लिए इस आंदोलन का हिस्सा बनें।

“संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, श्रमिक अधिकार बचाओ” का संदेश इस बैठक का प्रमुख निष्कर्ष रहा।

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