भिलाई (पब्लिक फोरम)। भिलाई के सेक्टर 6 में आज एक ऐतिहासिक सभा गूंजी, जहां भाकपा माले लिबरेशन ने अपनी 56वीं सालगिरह और कामरेड लेनिन की 155वीं जयंती धूमधाम से मनाई। यह बैठक केवल एक उत्सव नहीं थी, बल्कि मेहनतकशों, आदिवासियों और आम नागरिकों के हक की लड़ाई को और तेज करने का संकल्प थी। छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ सभा में गुस्सा और एकजुटता साफ झलकी।
आदिवासियों पर हमले और कॉर्पोरेट लूट का मुद्दा छाया
सभा में सबसे गंभीर चिंता छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों पर हो रहे हमलों को लेकर व्यक्त की गई। वक्ताओं ने बताया कि सरकार जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों को कॉर्पोरेट कंपनियों के हवाले करने की साजिश रच रही है। आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन छीनने और उनकी आजीविका पर हमला करने के लिए उन पर बर्बर दमन किया जा रहा है। यह सिर्फ जमीन की लूट नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, परंपरा और अस्तित्व पर हमला है।

श्रमिकों और नागरिकों के अधिकारों पर खतरा
बैठक में मौजूदा सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया गया। वक्ताओं ने बताया कि सरकार चार नए लेबर कोड लाकर श्रमिकों के दशकों के संघर्ष से हासिल अधिकारों को कुचलने की तैयारी में है। ये कोड मेहनतकशों की नौकरी की सुरक्षा, मजदूरी और काम के हालात को और बदतर करेंगे। इसके अलावा, सूचना का अधिकार (RTI) कानून में बदलाव कर सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही को कमजोर कर रही है। इससे भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को खुली छूट मिलेगी।
अल्पसंख्यकों और किसानों पर निशाना
सभा में वक्फ संशोधन कानून और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कानूनों की भी आलोचना हुई, जिन्हें मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाला बताया गया। साथ ही, कॉर्पोरेट हितों को बढ़ावा देने के लिए वापस लिए गए कृषि कानूनों को नई कृषि विपणन नीति के जरिए फिर से लागू करने की कोशिशों पर गुस्सा जाहिर किया गया। वक्ताओं ने कहा कि ये नीतियां किसानों की मेहनत और आजीविका को खतरे में डाल रही हैं।
कैंपस और लोकतंत्र पर बढ़ता हमला
शैक्षणिक स्वतंत्रता और कैंपस लोकतंत्र पर हो रहे हमलों ने भी सभा में जगह पाई। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि सरकार असहमति और बहस की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। इससे कट्टरता, नफरत और अंधविश्वास को बढ़ावा मिलेगा, जो देश के भविष्य के लिए खतरनाक है।
भावनात्मक और प्रेरक शुरुआत
बैठक की शुरुआत भाकपा माले केंद्रीय कमेटी के आव्हान के पाठ से हुई। पार्टी के शहीदों और दिवंगत नेताओं को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस पल ने सभी कार्यकर्ताओं में एक गहरी भावनात्मक एकता का संचार किया। वासुकी प्रसाद उन्मत ने लेनिन पर लिखी अपनी कविता सुनाकर सभा में जोश भरा। उनकी पंक्तियों ने मेहनतकशों और उत्पीड़ितों के लिए लेनिन के विचारों की प्रासंगिकता को जीवंत कर दिया।
एक मजबूत और जोशीली पार्टी का संकल्प
सभा में भाकपा माले को और बड़ी, मजबूत और जोशीली पार्टी बनाने का संकल्प लिया गया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह समय एकजुट होकर अन्याय, शोषण और कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का है। बृजेंद्र तिवारी, अशोक मिरी, श्याम लाल साहू, आर पी गजेंद्र, दीनानाथ प्रसाद, आर पी चौधरी, ए बी सिंह और ए शेखर राव जैसे वक्ताओं ने अपने विचारों से सभा को प्रेरित किया।
मानवीय संवेदना और सामाजिक न्याय की पुकार
यह सभा सिर्फ राजनीतिक मंच नहीं थी, बल्कि उन लाखों लोगों की आवाज थी जो रोजाना शोषण और अन्याय का सामना कर रहे हैं। आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन, श्रमिकों की मेहनत, किसानों की आजीविका और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा—ये सभी मुद्दे सभा में गूंजे। यह एक ऐसी पुकार थी जो हर इंसान के दिल को छूती है, क्योंकि यह सिर्फ नीतियों की बात नहीं, बल्कि इंसानियत और सामाजिक न्याय की लड़ाई है।
भाकपा माले की यह सभा छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए एक संदेश है कि जब तक जल, जंगल, जमीन और मेहनतकशों के हक की रक्षा नहीं होगी, संघर्ष जारी रहेगा। यह सभा न केवल सरकार की नीतियों की आलोचना थी, बल्कि एक बेहतर, न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के निर्माण का सपना भी थी।
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