वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था के लिए बोर्ड ने दी सहमति
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोयला खदानों के लिए अर्जित किये जाने वाले जमीन अधिग्रहण के एवज में वर्तमान पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन नीति (कोल इंडिया नीति 2012 ) से लगभग 20 प्रतिशत भुविस्थापितों को ही सीधे रोजगार मिल पाता है । इस परिस्थिति को देखते हुए वर्ष 2018 में एसईसीएल फंक्शनल डायरेक्टर्स की बैठक में रोजगार से वंचित भुविस्थापित बेरोजगारों को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कोल ट्रांन्सपोर्टेशन वर्क (कोयला लदान व परिवहन कार्य ) में 20% कार्य आबंटित करने का निर्णय लिया गया था । जिसे कोरबा क्षेत्र की नई खुलने वाली खदान सराई पाली खुली खदान में ट्रायल बेसिस शुरू किया जाना था पर बाद में इस पर साजिशन रोक लगा दिया गया । जिसके खिलाफ ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति ने 5 महीने तक लगातार सराईपाली खदान के मुहाने पर तालाबन्दी कर दिया था हाई कोर्ट में भी मामला अभी भी लंबित है ।
रोजगार के लिए ऊर्जाधानी संगठन की ओर से किये जा रहे आंदोलन और दबाव में 2 दिसम्बर को आयोजित एसईसीएल के फंक्शनल डायरेक्टर्स की मीटिंग में वैकल्पिक रोजगार के तहत परियोजना प्रभावितो के लिए 5 लाख रुपये तक गैर उत्खनन कार्य आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है जिसके लिए बनाई गई पालिसी के अनुसार 5 लाख तक के गैर-उत्खनन (मरम्मत,निर्माण,आदि) कार्यों को पेप्स ( खदान प्रभावित व्यक्ति ) द्वारा करवाने के लिए ऑनलाइन मोड़ से लिमिटेड टेंडर जारी किए जाएंगे । इस वित्तीय वर्ष में (मार्च 2022 तक) इस कार्य के लिए 1 करोड़ रुपये प्रति क्षेत्र (दीपका , गेवरा कुसमुंडा) स्वीकृत हुए हैं । 6 माह बाद समिति द्वारा इस कार्ययोजना के परिणामों का आंकलन किया जाएगा एवं तथानुरूप विस्तार प्रदान किया जाएगा । किसी भी पेप को कुल 20 लाख रुपये से व 6-8 से अधिक कार्य नही आबंटित किया जाएगा । गैर-उत्खनन कार्यों एवं क्षेत्र के पेप्स का चिन्हांकन क्षेत्र महाप्रबंधक द्वारा किया जाएगा ।
फंक्शनल डायरेक्टर्स बोर्ड की मीटिंग में इस बात को गंभीरता से लिया गया है कि रोजगार के अभाव में प्रभावित क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण किया जाना मुश्किल हो रहा है असन्तोष बढ़ रहा है और भुविस्थापितों द्वारा आंदोलन प्रदर्शन कर खदान को बाधित किया जा रहा है इस समस्या के समाधान के लिए तत्कालिक व्यवस्था के तहत वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया जाना सकारत्मक उपाय हो सकता है ।
वहीं एसईसीएल के निर्णय के बाद ऊर्जाधानी संगठन ने इस पर प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा है कि इस पालिसी को सही तरीके से लागू नही करने से परस्थिति नही बदलेगा । संगठन के अध्यक्ष श्री सपुरन कुलदीप ने बताया कि 2012 में लायी गयी पालिसी ने स्थाई रोजगार को समाप्त कर दिया है और आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियोजित निजी ठेका कंपनिया अपने कर्मचारियों का शोषण कर फायदा कमा रही है हमारी लड़ाई स्थाई रोजगार के अवसर को बढाने के लिए चलाई जा रही है छोटे बड़े सभी खातेदारों को रोजगार की मांग पर संघर्ष जारी है किंतु तात्कालिक व्यवस्था के लिए जारी पालिसी में ही अवसर की मांग किया गया है कि रोजगार से वंचित भुविस्थापितों को नियोजित ठेका कम्पनियो में प्राथमिकता दिया जाए और कोल इंडिया की निर्धारित मजदूरी का भुगतान किया जाए । साथ ही उत्खनन व गैर उत्खनन कार्य के निविदा कार्य मे 20% कार्य भुविस्थापितों के लिए आरक्षित किया जाए ।
पिछली बैठकों में दिये गए आश्वसन के अनुरूप बोर्ड ने 5 लाख तक ठेका कार्य की अनुमति दिया है । उन्होंने कहा है कि इसे मात्र वर्तमान में लागू नीतियों में एक अवसर के रूप देखते हैं इस पालिसी में दिए गए शर्तो का गहन अध्ययन करने की जरूरत है ।।और जमीन के बदले स्थाई रोजगार सहित दूसरे मांगो पर हमारी लड़ाई जारी रहेगा ।
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