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39वें चक्रधर समारोह का आगाज: 7 सितंबर से रायगढ़ में सांस्कृतिक महाकुंभ, हेमा मालिनी करेंगी राधा रास बिहारी का मंचन

0 रायगढ़ में 7 सितंबर से शुरू होगा 39वां चक्रधर समारोह।
0 मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे शुभारंभ।0 पद्मश्री हेमा मालिनी प्रस्तुत करेंगी राधा रास बिहारी नृत्य नाटिका।
0 पहले दिन कथक और करमा नृत्य का संगम।
10 दिनों तक चलेगा सांस्कृतिक महाकुंभ, 62 इवेंट्स का आयोजन।

रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। 7 सितंबर से 39वें चक्रधर समारोह का शुभारंभ होने जा रहा है, जिसमें कला और संस्कृति की नगरी रायगढ़ अगले 10 दिनों तक सांस्कृतिक रंगों में रंगी रहेगी। देशभर के ख्यातिनाम कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के साथ इस आयोजन को विशेष बनाएंगे। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति इस आयोजन को और भी गरिमामय बनाएगी।

पहले दिन प्रख्यात अभिनेत्री और शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मश्री हेमा मालिनी द्वारा राधा रास बिहारी नृत्य नाटिका का मंचन मुख्य आकर्षण रहेगा। समारोह का शुभारंभ श्री गणेश पूजन, दीप प्रज्वलन और गणेश वंदना के साथ होगा, जिसके बाद रायगढ़ कथक घराने के वरिष्ठ कलाकार और इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित श्री रामलाल जी को ‘कथक घुंघरू’ सम्मान से नवाजा जाएगा।

इसके पश्चात, भूपेंद्र बरेठ और उनके साथियों द्वारा कथक समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी, जो दर्शकों को शास्त्रीय नृत्य की सुंदरता का अहसास कराएगी। साथ ही, छत्तीसगढ़ की माटी की लोक विधा करमा नृत्य का प्रदर्शन जशपुर के मनियर भगत और उनके साथी करेंगे, जिससे दर्शकों को छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक मिलेगी। दिन के अंत में पद्मश्री हेमा मालिनी की प्रस्तुति इस सांस्कृतिक आयोजन को एक अविस्मरणीय शाम में बदल देगी।

10 दिवसीय आयोजन
इस बार के चक्रधर समारोह में स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। कुल 62 कार्यक्रमों में नृत्य, वादन, गायन और कवि सम्मेलन की विभिन्न विधाएं शामिल होंगी।

प्रस्तुति की तैयारी
चक्रधर समारोह के लिए मंच और पंडाल की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस बार मुख्य डोम को पहले की तुलना में और बड़ा बनाया गया है, जिसमें लगभग 29 हजार स्क्वायर फीट की बैठक व्यवस्था की गई है। रायगढ़ की यह भव्य आयोजन कला प्रेमियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगा, जिसमें हर प्रस्तुति एक नई कहानी बयां करेगी।

इस बार का चक्रधर समारोह सिर्फ कला और संस्कृति का संगम नहीं, बल्कि रायगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और विरासत का जीवंत उत्सव होगा। दर्शकों को यहां हर दिन एक नया अनुभव मिलेगा, जो उन्हें भारतीय शास्त्रीय और लोक कलाओं की गहराई से परिचित कराएगा।

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