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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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आईलाज का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित: न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के रक्षक बनने का आह्वान

कटक (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आईलाज) ने 21 और 22 दिसंबर को ओडिशा के कटक में अपने दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। इस सम्मेलन में 16 राज्यों से आए 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आईलाज का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन मई 2022 में बेंगलुरु में आयोजित हुआ था। इस बार का सम्मेलन न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए वकीलों की भूमिका पर केंद्रित रहा।

सम्मेलन का आरंभ ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ विषय पर एक सार्वजनिक व्याख्यान से हुआ। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक मुख्य अतिथि थे, जबकि मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के. चंद्रू ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
आईलाज की अध्यक्ष मैत्रेयी कृष्णन ने अपने उद्घाटन भाषण में न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लोकतंत्र का आधार बताते हुए न्यायिक प्रशासन, आचरण और निर्णयात्मक जवाबदेही पर बल दिया। उन्होंने न्यायपालिका पर बढ़ते कार्यकारी दबाव की निंदा की।

मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक के विचार

न्यायमूर्ति पटनायक ने वकीलों को ‘लोकतंत्र के रक्षक’ बताते हुए कहा कि वे संविधान के सिपाही हैं और उन्हें जनता के बीच संवैधानिक मूल्यों का प्रसार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र केवल पांच वर्षों में मतदान तक सीमित नहीं है। यह प्रतिदिन जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।”
उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की सराहना की, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी, और वकीलों से अपील की कि वे सत्ता के लालच से परे आम जनता के हितों की रक्षा करें।

मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति के. चंद्रू के विचार

न्यायमूर्ति चंद्रू ने अपने संबोधन में संविधान की रक्षा को आम जनता का मुद्दा बताया। उन्होंने न्यायपालिका में निष्पक्षता की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को अपने निर्णय और आचरण में संविधान के प्रति निष्ठा दिखानी चाहिए।

उन्होंने कहा, “न्यायपालिका बार-बार संविधान की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई है।” उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाया और हालिया मामलों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि संविधान को केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं माना जाना चाहिए; इसे लोगों के संघर्ष का आधार होना चाहिए।

सम्मेलन की प्रमुख गतिविधियां

सम्मेलन में पिछले दो वर्षों की आईलाज की उपलब्धियों की समीक्षा की गई और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा हुई। अधिवक्ताओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए ‘अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम’ पारित करने की मांग पर विशेष ध्यान दिया गया। साथ ही, कनिष्ठ वकीलों के लिए वजीफा, सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सा बीमा और असंवैधानिक कानूनों का विरोध करने जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए गए।

सम्मेलन के दौरान विरोध प्रदर्शन

सम्मेलन के पहले दिन का समापन गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. अंबेडकर पर की गई टिप्पणियों के विरोध में मोमबत्ती जलाकर हुआ। आईलाज ने शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए अपनी आवाज बुलंद की।

नई राष्ट्रीय समिति का गठन

सम्मेलन के अंत में 43 सदस्यीय राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया। मैत्रेयी कृष्णन को सर्वसम्मति से आईलाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।

आईलाज ने संविधान की रक्षा, लोकतंत्र की मजबूती और आम जनता के अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। संगठन ने वकीलों और आम नागरिकों के हितों के लिए लड़ने की अपनी भूमिका को और सशक्त बनाने का संकल्प लिया।
यह सम्मेलन न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा के लिए वकीलों और नागरिकों को एकजुट करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। आईलाज ने अपने प्रयासों से यह स्पष्ट संदेश दिया कि एक सशक्त न्यायपालिका और जागरूक समाज ही लोकतंत्र का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।

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