लंबित रोजगार के निराकरण तक खदान विस्तार के कार्य पर रोक लगाने भू विस्थापितों ने की मांग
रोजगार की मांग पर भू विस्थापित किसानों का धरना 172 वें दिन भी जारी
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कुसमुंडा क्षेत्र के भू विस्थापित किसान 31अक्टूबर को 12 घंटे कुसमुंडा खदान को पूर्ण रूप से बंद करने के बाद रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने 1 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले 172 दिनों से जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर धरने पर बैठे है। इस दौरान भू विस्थापितों ने 4 बार खदान को 30 घंटे से भी ज्यादे समय तक बंद रखा और इस बीच आंदोलन कर रहे 16 लोगों को जेल भी भेजा गया लेकिन भू विस्थापित इस बार रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखने की बात पर अड़े हुए हैं।
भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर श्याम ने कहा कि एसईसीएल रोजगार देने के अपने वायदे के प्रति गंभीर नहीं है अधिकारियों का भू विस्थापितों के साथ रवैया भी सही नहीं है प्रबंधन भू विस्थापितों को गुमराह कर आपस में लड़ाना चाहता है जिसमे अधिकारी कभी कामयाब नहीं होंगे भू विस्थापित जमीन के बदले रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
दामोदर श्याम ने आगे कहा कि प्रबंधन से लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण तक खदान विस्तार के कार्य पर तत्काल रोकने की मांग की गई है इस संबंध में एक ज्ञापन कुसमुंडा महाप्रबंधक के साथ जिला प्रशासन को भी दिया गया है खदान विस्तार के कार्य को नहीं रोकने पर 24 अप्रेल को भू विस्थापित बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर खदान विस्तार के कार्य को रोकेंगे।
172 वें दिन चल रहे धरना प्रदर्शन और खदान के विस्तार कार्य का निरक्षण करने के बाद भू विस्थापितों को संबोधित करते हुए किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,जय कौशिक ने कहा कि विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर करोड़ो लोगों को विस्थापित किया गया है अपने पुनर्वास और रोजगार के लिए भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं। दमन के आगे संघर्ष तेज करने के संकल्प के साथ आंदोलन जारी रखने का संकल्प भी भू विस्थापितों ने लिया।
आज के धरना कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, राधेश्याम कश्यप, जय कौशिक, दामोदर श्याम, दीपक साहू, बलराम कश्यप, मोहन कौशिक, रामप्रसाद, प्रेम, अमरपाल, बजरंग सोनी, बृजमोहन, शिवपाल, ठकराल, अशोक मिश्रा, दीपक धीवर, नूतन, हेमन प्रसाद, रामेश्वर दास, रघुनंदन, बुधवारा बाई, लक्ष्मीन बाई के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित उपस्थित थे।
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