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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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23-24 फरवरी की प्रस्तावित दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल अब 28-29 मार्च को होगी

पांच राज्यों में होने वाले चुनाव, करोना के ओमीक्रोन लहर के नाम पर सरकारी बंदिशों और फरवरी में संसद का सत्र स्थगन को देखते हुए लिया गया फैसला

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के नेताओं की आज 28 जनवरी को वर्चुअल मोड बैठक में हुई। बैठक में 23-24 फरवरी 2022 की प्रस्तावित हड़ताल की तिथि का विस्तार करते हुए 28-29 मार्च 2022 को दो दिवसीय हड़ताल करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों की वर्चुअल बैठक डॉक्टर संजीवा रेड्डी की अध्यक्षता में हुई। जिसमें इंटक के डॉ रेड्डी के साथ अशोक सिंह, एआईटीयूसी के अध्यक्ष कॉमरेड रर्मेंद्र कुमार, महासचिव कामरेड अमरजीत कौर और सचिव कामरेड विद्यासागर गिरी, एचएमएस के महासचिव कॉमरेड हरभजन सिंह सिद्धू , सीटू के महासचिव तपन सेन और अध्यक्ष हेमलता, एआईयूटीयूसी के कामरेड आर के शर्मा, यूटीयूसी के कामरेड अशोक घोष, एआईसीसीटीयू के महासचिव कामरेड राजीव डिमरी एवं संतोष राय, टीयूसीसी के कामरेड जी देवराजन, सेवा की बहन सोनिया जॉर्ज, एलपीएस के नेता सहित केंद्रीय श्रम संगठनों के कई नेताओं ने भागीदारी की।

बैठक में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव, करोना के ओमीक्रोन लहर के नाम पर सरकारी बंदिशों के मधेनजर और फरवरी में संसद का सत्र स्थगन देखते हुए फैसला किया गया कि 23-24 फरवरी की प्रस्तावित दो दिवसीय हड़ताल का तिथि विस्तार कर 28 -29 मार्च 2022 को हड़ताल किया जाए।

बैठक में किसान संगठनों के साथ मिलकर पांच राज्यों में हो रहे चुनाव मैं मिशन यूपी- उत्तराखंड का समर्थन करते हुए इस अभियान को सघन ढंग से चलाने और भारतीय जनता पार्टी को हराने के अभियान को तेज किया जाएगा कार्यक्रम चलाए जाने का आवाहन किया गया । भाजपा मजदूरों के संघर्ष से अर्जित 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों की हत्या कर चार श्रम संहिता बनाकर मजदूरों को पूंजी का गुलाम बनाने का कार्य किया है , किसानों के विरुद्ध कानून बनाया और समझौता लागू नहीं किया। सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों को बेंच रही है और एन एम पी के नाम पर देश का सारा ढांचागत सुविधाओं और संसाधनों को नीजी हाथों को सौंप कर राष्ट्र विरोधी , जनविरोधी कार्य कर रही है। इसलिए भाजपा के नेतृत्व की सरकारों को हराने के लिए संयुक्त अभियान सघन ढंग से चलाया जाएगा।

बैठक में श्रम संहिता को वापस लेने, पब्लिक सेक्टर का निजीकरण और डिसइनवेस्टमेंट रोकने , नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की नीतियों के माध्यम से देश की संपदा को लूटने की छूट देने और सरकारी नौकरियों को समाप्त कर अच्छे सेवा शर्त वाले नौकरियों को ही खत्म कर देने और सरकारी क्षेत्र समाप्त कर उसमें मिलने वाले आरक्षण को भी सदा सदा के लिए समाप्त कर देने का गंभीर षड्यंत्र यह सरकार कर रही है जिसके विरुद्ध बेरोजगारों के आंदोलन को भी ट्रेड यूनियन विकसित कर उसके समर्थन का कार्य करेगा। ट्रेड यूनियनों ने विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं से भी अपील किया है कि वह अपने चुनावी घोषणापत्र और अभियान में मजदूरों किसानों बेरोजगार युवाओं की मांग, मंहगाई सहित अन्य मांगों एवं देश हित के मुद्दों को समाहित करें। इस संदर्भ में सभी विपक्षी राजनीतिक दलों को पत्र देने का फैसला भी लिया गया है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने अपने सारे संबद्ध संगठनों को आवाहन किया है कि हड़ताल के मुद्दे को जन अभियान के रूप में लगातार चलाते हुए 28 -29 मार्च 2022 की तिथि में हड़ताल करने की तैयारी में लगें और उसके पहले इन मुद्दों के सघन अभियान के माध्यम से पांच राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने के अभियान को गति प्रदान करें।

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