शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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22 अप्रैल: भाकपा (माले) की स्थापना दिवस और संकल्प

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन की केंद्रीय कमेटी ने आज 22 अप्रैल 2022 को पार्टी की 53 वें स्थापना दिवस के अवसर पर भाकपा (माले) के अपने सभी सदस्यों और समर्थकों का क्रांतिकारी अभिवादन करते हुए कहा है कि आज 22 अप्रैल, 2022 को भाकपा (माले) की स्थापना की 53 वीं वर्षगांठ है।

केन्द्रीय कमिटी इस ऐतिहासिक अवसर पर भाकपा(माले) के सभी सदस्यों और समर्थकों का क्रान्तिकारी अभिवादन करते हुये सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए लोकतंत्र और आम लोगों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के पार्टी के संकल्प को दुहराती है. यह कॉमरेड लेनिन की 152वीं जयंती भी है. हम कॉमरेड लेनिन और हमारे सभी संस्थापक और दिवंगत नेताओं और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. इसी साल 28 जुलाई को कॉमरेड चारु मजूमदार का 50वां शहादत दिवस है व 10 दिसंबर को कामरेड जगदीश मास्टर और रामायण राम का 50वां शहादत दिवस है।

पिछले दो साल कोविड-19 महामारी और इससे निपटने के नाम पर राज्य द्वारा लागू किए गए निर्मम लॉकडाउन के साए में रहे. इसके बावजूद, भारत की आम जनता और हमारी पार्टी ने कई बुनियादी मांगों और अधिकारों के लिए सफलतापूर्वक संघर्ष किये हैं. ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को कॉरपोरेट-हितों को साधने के लिए लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया है. बटाईदारों सहित सभी वर्गों के किसानों के लिए सभी फसलों पर उचित एमएसपी, मेहनतकश जनता पर लादे गए सभी कर्जों को समाप्त करने के लिए, मजदूर वर्ग और नौकरी खोजने वालों के लिए सुरक्षित नौकरी और उचित मजदूरी और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने व मुट्ठी भर कॉर्पोरेटों को सौंप देने पर रोक लगाने के लिए लड़ाई अभी भी जारी है।

हर चुनावी जीत भाजपा और संघ ब्रिगेड को अपने फासीवादी हमले को तेज करने के लिए बढ़ावा देती है. 2019 की जीत के बाद, मोदी सरकार ने तुरंत ही अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया और नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया. इस बार, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी की जीत के बाद, वे गैर-बीजेपी सरकारों को अस्थिर करने और बिहार जैसे राज्यों में अपना नियंत्रण दृढ़ करने की कोशिश कर रही है जहां बीजेपी लंबे समय से नीतीश कुमार को अपने चेहरे या मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर रही है. सरकार ने एक तरफ तो ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार भारी बढ़ोतरी करके आम लोगों पर आर्थिक युद्ध तेज कर दिया है, साथ ही नफरत और भय का माहौल बनाकर और हिंसा भड़काकर लोगों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी कर रही है।

जैसे-जैसे संकट गहराता जा रहा है, लोगों को हतोत्साहित किया जा रहा है और भाजपा शासन और आरएसएस की विचारधारा को भारत के लिए अपरिहार्य नियति के रूप में स्वीकार करने के लिए धमकाया जा रहा है. लेकिन भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ हमें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की शक्तिशाली क्रांतिकारी विरासत और भगत सिंह, अम्बेडकर और पेरियार और उनसे पहले के उपनिवेशवाद विरोधी-जाति विरोधी समाज सुधारकों द्वारा प्रज्वलित एक स्वतंत्र, प्रगतिशील और समतामूलक भारत बनाने के महान सपनों की याद दिला रही है. स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को तेज करके उस विरासत को आगे बढ़ाने और भारत को फासीवादी चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी अब हम पर है. इसके लिए सभी वामपंथी, प्रगतिशील और लड़ने वाली ताकतों की हमें एक मजबूत एकता बनाने और आम लोगों के एजेंडे और संघर्षों को चुनावी क्षेत्र में एक शक्तिशाली दावेदारी की ओर की जरूरत है।

हमें इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने के लिए पार्टी को विस्तार देने और मजबूत करने की जरूरत है. अगले साल की शुरुआत में, हम पटना में पार्टी के 11वां महाधिवेशन का आयोजन करेंगे और 2024 की शुरुआत में हम बहुत ही महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों का सामना करेंगे. पूरी पार्टी को इन कार्यों के लिए पूरे जोश के साथ तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. उम्मीदवार सदस्यों की बड़े पैमाने पर भर्ती के माध्यम से नए क्षेत्रों में और लोगों के बीच पार्टी का विस्तार, पार्टी कमिटियों और ब्रांचों के बेहतर कामकाज के माध्यम से पार्टी की एकता और लड़ने की शक्ति को मजबूत करना और पार्टी अनुशासन का कड़ाई से पालन करना, और पार्टी के प्रकाशनों और मार्क्सवादी साहित्य के गंभीर अध्ययन के माध्यम से पार्टी का वैचारिक-राजनीतिक स्तर बढ़ाना- जन संपर्क और जन संघर्षों की अपनी दैनिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

हमारे सभी प्रिय नेताओं और शहीदों को लाल सलाम!

भाकपा (माले) को पूरे भारत में फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध की एक जीवंत, प्रतिबद्ध और शक्तिशाली ताकत के रूप में स्थापित करें!

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