शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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20,495 करोड़ रुपए के रेट्रोस्पैस्क्टिव टैक्स का मामला: वेदांता ने मामला सुलझाने सरकार के खिलाफ दायर सभी मामले लिये वापस

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। Moneycontrol.com के अनुसार वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के सुप्रीमो उद्योगपति अनिल अग्रवाल की उक्त कंपनी वेदांता ने रेट्रो टैक्स के एक मामले के चलते Government of India के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस ले लिया है। वेदांता के माइनिंग विभाग के बिजनेस से जुड़े एथॉरिटी ने बताया है कि कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के समक्ष दाखिल किए गए मामलों को भी वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि 20,495 करोड़ रुपये के एक रेट्रो टैक्स याने की पुरानी तिथि से टैक्स लगाने की प्रक्रिया (Retrospective Tax) मामले को सुलझाने के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है।

ब्रिटेन मुख्यालय वाली केयर्न एनर्जी ने 2006 में अपने भारतीय बिजनेस का आंतरिक पुर्नगठन किया था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस पुनर्गठन से कंपनी को हुए कथित कैपिटल गेन पर 10,247 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग की थी। बाद में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह कहते हुए केयर्न इंडिया से 20,495 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग किया कि वह ब्रिटेन में अपनी पैरेंट कंपनी को कैपिटल गेन पर टैक्स कटौती करने में विफल रही। वेदांता समूह ने 2011 में केयर्न इंडिया को खरीद लिया और बाद में उसका वेदांता लिमिटेड में विलय हो गया।

इधर वेदांता ने एक बयान में कहा है कि उसने टैक्स विवाद के निपटारे के लिए हाल में बने कानून का इस्तेमाल किया है। यह कानून 2012 के पहले के मामलों में लगाए गए रेट्रोस्पैक्टिव टैक्स कानून को निरस्त करता है। इसके इस कानून के तहत मांग की टैक्स राशि भी अपने आप रद्द हो जाती है।

वेदांता ने बताया कि उसने कानून की शर्तों के तहत सरकार के खिलाफ सभी कानूनी मामलों को वापस ले लिया है। साथ ही उसने भारत या भारत के बाहर टैक्स क्लेम को लेकर किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं शुरू करने को लेकर लिखित में सहमित जताई है।”

केयर्न एनर्जी भी सरकार के साथ अपने टैक्स विवाद का निपटा कर रही है। कंपनी रेट्रोस्पैक्टिव टैक्स कानून का इस्तेमाल कर वसूले गए 7,900 करोड़ रुपये के रिफंड को लेकर दायर मामलों को वापस ले रही है।

केयर्न का कहना था कि 2006 के कंपनी पुनर्गठन के मामले में उस समय की व्यवस्था के अनुसार कोई टैक्स नहीं बनता था। उसने इनकम टैक्स के आदेश पर वसूले गए टैक्स के रिफंड को लेकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में मामला जीत लिया था।

वेदांता ने टैक्स की मांग को इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल और दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं उसकी पैरेंट कंपनी वेदांता रिर्सोसेज ने मामले को सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। नए कानून के तहत वेदांता लिमिटेड ने मामले के निपटारे को लेकर जरूरी फॉर्म जमा किये हैं। साथ ही निर्धारित फॉर्म में लिखित में आगे इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाने की बात कही है।

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