शुक्रवार, सितम्बर 12, 2025
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18 साल का इंतजार: कोरबा से लापता महेंद्र का परिवार आज भी है बेबस, क्या बालको चिमनी हादसे का शिकार हो गया बेटा?

🔹मध्य प्रदेश का महेंद्र प्रसाद 18 साल पहले कोरबा में बालको कंपनी में काम करने आया था।

🔹26 अप्रेल 2007 से है रहस्यमय ढंग से लापता, परिवार का रो-रोकर बुरा हाल।

🔹परिवार को आशंका, कहीं 2009 के बालको चिमनी हादसे का शिकार तो नहीं हो गया महेंद्र।

🔹चिंतित परिजनों ने जनता से की अपील, जानकारी होने पर सूचित करने का किया आग्रह।

कोरबा (पब्लिक फोरम)। एक परिवार के लिए 18 साल का समय कितना लंबा हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। हर दिन, हर पल एक अनजाने भय और एक धुंधली सी उम्मीद के बीच कटता है। यह कहानी मध्य प्रदेश के मैहर जिले के मर्यादपुर गाँव के रहने वाले महेंद्र प्रसाद के परिवार की है, जिनकी आँखें आज भी अपने बेटे की राह तक रही हैं। महेंद्र 16 साल पहले छत्तीसगढ़ के कोरबा में रोजी-रोटी कमाने आया था, लेकिन फिर कभी घर नहीं लौटा।

क्या हुआ था महेंद्र के साथ?

महेंद्र प्रसाद, पिता राम सुमिरन, 26 अप्रेल 2007 में बेहतर भविष्य का सपना लेकर कोरबा की बालको कंपनी में काम करने आया था। शुरुआत में एक-दो बार उसका घर आना-जाना हुआ, लेकिन उसके बाद वह रहस्यमय तरीके से लापता हो गया। परिवार ने जब उससे संपर्क करने की कोशिश की, तो फोन पर भी बात नहीं हो सकी। साल भर बीत जाने के बाद भी जब महेंद्र घर नहीं लौटा, तो परिवार की चिंता बढ़ने लगी। उन्होंने मध्य प्रदेश के मैहर स्थित अपने संबंधित थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई, लेकिन आज तक महेंद्र का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

एक दर्दनाक आशंका और 18 साल का संघर्ष

महेंद्र के लापता होने के बाद से परिवार ने छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में उसकी तलाश की, लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इन 18 वर्षों में परिवार वालों के मन में एक गहरा डर घर कर गया है। उन्हें आशंका है कि कहीं उनका बेटा किसी अनहोनी का शिकार तो नहीं हो गया। यह डर तब और भी गहरा हो जाता है, जब वे कोरबा के उस भयावह औद्योगिक हादसे को याद करते हैं, जो महेंद्र के लापता होने के कुछ समय बाद ही हुआ था।

उल्लेखनीय है कि 23 सितंबर 2009 को कोरबा के बालको प्लांट में एक निर्माणाधीन चिमनी ढह गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 56 से अधिक मजदूरों की जान चली गई थी, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में केवल 40 मौतें ही बताई गई थी। महेंद्र के परिजन इसी आशंका से सिहर उठते हैं कि कहीं उनका बेटा भी उस हादसे का शिकार तो नहीं हो गया था, जिसके बाद उसकी कोई पहचान या जानकारी नहीं मिल सकी।

परिवार की मार्मिक अपील

18 साल के लंबे और दर्दनाक इंतजार के बाद भी परिवार ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। वे आज भी हर आहट पर चौंक जाते हैं, उन्हें लगता है कि शायद महेंद्र लौट आया है। परिजनों ने नम आँखों से लोगों से अपील की है कि अगर किसी को भी महेंद्र के बारे में कोई भी जानकारी मिले, तो कृपया पंकज सिंह बेस के मोबाइल नंबर 6265493339 पर संपर्क कर सूचना दें। आपका एक फोन इस बेबस परिवार के 16 साल के इंतजार को खत्म कर सकता है और उनके जीवन में उम्मीद की एक नई किरण ला सकता है।

यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के लापता होने की नहीं है, बल्कि उस दर्द और पीड़ा की भी है जिसे उसका परिवार हर दिन झेल रहा है। यह हमारे समाज के उन अनगिनत मजदूरों की कहानी भी है, जो अपने परिवार से दूर, दूसरे शहरों में मेहनत-मजदूरी करते हैं और कभी-कभी गुमनामी के अंतहीन अंधेरे में खो जाते हैं।

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