किसानों के निरंतर बढ़ते संघर्ष को और मजबूत बनायें: ऐक्टू
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किसानों का दृढ़ व अनथक संघर्ष निरंतर बढ़ रहा है, फैल रहा है और शक्तिशाली हो रहा है. आंदोलन के हालिया नारे- ‘‘बिल वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं’’ और ‘‘या जीतेंगें, या मरेंगे’ किसानों के निरंतर बढ़ते संकल्प और दृढ़ता का मूर्त रूप हैं.
यह किसानों का ऐतिहासिक संघर्ष है और साथ ही एक ऐतिहासिक मौका है जब भारतीय मजदूर वर्ग को किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस युद्ध में कूद जाना होगा.
ऐक्टू किसानों के, आम अवाम के संघर्षों को मजबूती प्रदान करने के लिये 26 जनवरी तक के लिये घोषित किसान आंदोलन के कार्यक्रमों का मजबूती से समर्थन करता है. मोदी शासन के तहत मजबूत होते काॅरपोरेट शिकंजे का प्रतिरोध करने, उसे खत्म करने के लिये किसानों के साथ दृढता से खड़ा होने का ऐक्टू मजदूर वर्ग से आहृान करता है.
13 जनवरी (उत्तर भारत में लोहरी) दक्षिण में ‘‘भोगी’’ उत्सव कहलाता है जिस दिन यहां हर वो चीज जो पुरानी और सड़ चुकी है को जला दिया जाता है. ऐक्टू मजदूर वर्ग का 13 जनवरी 2021 को 3 कृषि कानूनों और 4 लेबर-कोड कानूनों की प्रतियां जलाने और विभिन्न रूपों में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आहृान करता है.
मजदूरों और किसानों के एकताबद्ध संघर्ष के बलबूते भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार के नेतृत्व में कॉर्पोरेट, कंपनी राज को शिकस्त देने के लिये आगे बढ़ें.
देश भर में 13 जनवरी को कानून की प्रतियां जलाने, 18 को महिला किसान दिवस, 23 को सुभाष जयंती और 26 जनवरी को किसान व ट्रैक्टर परेड के कार्यक्रमों को सफल बनायें.
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