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रविवार, जुलाई 6, 2025
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5 दिनों में 10 मौतें! जिले में बढ़ती दुर्घटनाओं से चिंतित सांसद ज्योत्सना महंत ने प्रशासन व पुलिस को घेरा

औद्योगिक जिले में निरंकुश दौड़ रही भारी वाहनों को संरक्षण किसका? मंत्री, पुलिस या ठेकेदार?

कोरबा (पब्लिक फोरम)। औद्योगिक जिला कोरबा के बालको क्षेत्र के रुमगड़ा बालको मार्ग पर बुधवार देर रात भारी वाहन की टक्कर से तीन युवकों की असामयिक दर्दनाक मौत पर कोरबा लोकसभा की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने गहरा दु:ख व्यक्त किया है।
सांसद ने जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों से कड़े शब्दों में सवाल किया है कि आखिर वे कर क्या रहे हैं?
पिछले 5 दिनों के भीतर विभिन्न सड़कों पर 10 से अधिक मौतें हो चुकी हैं जो कि यातायात व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सांसद ने कहा है कि इसी वर्ष विगत मार्च महीने में जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक उन्होंने ली थी और बैठक में कलेक्टर श्री अजीत वसंत, जिला पुलिस अधीक्षक श्री सिद्धार्थ तिवारी, जिला परिवहन अधिकारी ने सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए दुर्घटनाओं का कारण जानकर उसका विश्लेषण करते हुए उचित उपाय करने की बात कही थी लेकिन जिस तरह से जिले में नेशनल हाईवे से लेकर आम सड़कों पर रोड एक्सीडेंट की संख्या बढ़ रही है, वह जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग की सरासर नाकामियों को ही दर्शाता है। 

सांसद ने कहा है कि भारी वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण के लिए उचित उपाय किया जाना जरूरी है, जिसके लिए प्रशासन अब गंभीरता दिखाए। हर दिन एक्सीडेंट से किसी की मौत हो रही है तो कोई अपाहिज़ हो रहा है। जिंदगी और मौत से जूझ रहा है लेकिन जिला प्रशासन केवल दुर्घटनाओं के विश्लेषण करने में ही लगा हुआ है। आखिरकार वे किस तरह का उपाय कर रहे हैं जो कारगर साबित नहीं हो रहा और रफ्तार पर लगाम नहीं लग पा रही है?
सांसद श्रीमती महंत ने कहा है कि हादसों की रोकथाम एवं सड़क सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए औद्योगिक इकाईयां एसईसीएल, बालको, पीडब्ल्यूडी, नेशनल हाईवे, एनएचएआई, एनएचपीडब्ल्यूडी, परिवहन, यातायात विभाग के अधिकारियों को भी अपनी भूमिका निभानी होती है लेकिन वे भी बिल्कुल गंभीर नहीं हैं।
सड़क मार्गों पर जरूरत के हिसाब से संकेतक लगाने, मरम्मत योग्य सड़कों का शीघ्रता से मरम्मत करने, धूल उड़ने वाले मार्गों पर नियमित पानी का छिड़काव करने तथा सड़क पर जाम लगने से रोकने के लिए भारी वाहन चलने वाले मार्ग के आसपास पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक ब्रेकर तथा संकेतक लगाने के कार्यों में भी कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है। शहर के भीतर लोग दिन भर जाम में  फंसे रह जाते हैं। औद्योगिक जिले में सुरक्षित आवागमन की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक महज़ विश्लेषण और केवल योजनाएं ही बनाई जा रही हैं। इस औद्योगिक जिले में एक सार्थक दुर्घटना नियंत्रक कार्रवाई के बिना आम आदमी का सड़क मार्गों पर सुरक्षित आवाजाही सचमुच अब एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

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