शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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रोजगार की मांग को लेकर भूविस्थापितों का धरना शुरू: किसान सभा ने दिया साथ

कोरबा/कुसमुंडा (पब्लिक फोरम)। एक तरफ जहां आदिवासियों के नाम पर बनने वाले छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना का महोत्सव मनाया जा रहा है और कोल इंडिया स्थापना दिवस पर कोल इंडिया के अंतर्गत आने वाली कंपनी एसईसीएल को पुनर्वास, बसाहट, रोजगार, सामाजिक लाभ और विस्थापन जैसे मुद्दों से कुशलतापूर्वक हल करने के नाम पर प्रथम पुरस्कार दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कोरबा जिले में कुसमुंडा क्षेत्र में रहने वाले भू-विस्थापित किसान, रोजगार की मांग करते हुए मुख्यालय के सामने धरना पर बैठने को मजबूर है। इससे भू-विस्थापितों और किसानों के प्रति राज्य सरकार और एसईसीएल का दोहरा चरित्र उजागर होता ही है, महोत्सव के आयोजन और पुरस्कार ग्रहण पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है।

कल ही कुसमुंडा क्षेत्र के सैकड़ों भू विस्थापित किसानों ने खदान में 12 घंटों तक उयपादन कार्य ठप्प कर दिया था। प्रबंधन के आश्वासन पर उन्हें कोई भरोसा नहीं है, क्योंकि अपनी खोई हुई जमीन की एवज में एक छोटी-सी नौकरी पाने के लिए पिछले 40 सालों से वे भटक रहे हैं। उन्होंने कुसमुंडा मुख्यालय के सामने ही रोजगार एकता संघ के बेनर तले अपना तंबू तान दिया है और अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे गए हैं। धरने के प्रथम दिन राधेश्याम, सोहरिक, दामोदर, रेशम, रघुनंदन, पुरषोत्तम, लखन,मोहनलाल, रामेश्वर, पुनीत, बजरंग सोनी, अमरपाल के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित धरना में बैठे विस्थापित किसानों के समर्थन में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक संजय यादव भी धरनास्थल पंहुच कर धरना में बैठे। इन विस्थापितों के लिए न कोई तीज है, न त्यौंहार, न कोई दशहरा न दीवाली।

रोजगार एकता संघर्ष के साथ माकपा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के कार्यकर्ता भी उनके साथ धरने पर बैठकर उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं।

कल माकपा राज्य सचिव संजय पराते इन भू-विस्थापित किसानों की सभा को संबोधित करेंगे।

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