यूक्रेन और राशिया को अमरीका ने अपना नया रणभूमि बनाया है
2008 से चल रहे आर्थिक मंदी में फंसा अमरीका युद्ध से ही मंदी से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहा है।
इस बीच कुछ मुठ्ठी भर धनाढ्य लोगों की सम्पत्ति में बेतहाशा बृद्धि हुई है लेकिन बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, आर्थिक असमानता की खाई को और अधिक चौड़ा किया है।
सन 1776 में प्रजातांत्रिक देश के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक इन 250 वर्षो के इतिहास में अमरीका का 225 बार युद्घ में संलिप्तता का रिकॉर्ड भी रहा है।
पिछले 7 दशकों में अमरीका ने अन्य दूसरे देशों पर 188 बार सैनिक हस्तक्षेप किया है।
अमरीका ने सैकड़ों बार दुनियां के अन्य देशों के अंदरूनी चुनावों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप किया है।
सन 1948 से 2016 तक अमरीका ने 72 बार गुप्त षड़यंत्र कर विभिन्न देशों की निर्वाचित सरकार को परिवर्तन करने का प्रयास किया है।

अमरीका के बड़े व्यापारियों, हथियार निर्माणकारी संस्थाओं के मालिक, बैंक कारोबारी, तेल कंपनियों को अपनी मूनाफा अर्जित करने के लिए उन्हे युद्ध की जरूरत है। वे अपनी अर्थव्यावस्था को पटरी में वापस लाने के लिए युद्ध को ही एकमात्र माध्यम समझते हैं।
युद्घ से होने वाले भारी नुकसान का उन्हे परवाह नही है। वे सिर्फ मूनाफा चाहते हैं। मूनाफा ही उनका लक्ष्य है।
युद्ध नही-शांति चाहिए। -सुखरंजन नंदी










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