रविवार, सितम्बर 8, 2024
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आदर्शपुरुषों की प्रतिमाओं को तोड़ा जाना चंद लोगों के कायरता की निशानी

भावनाओं के सहारे मैदान नही जीते जाते, हमको अपनी राजनैतिक शक्ति का महत्व समझना और समझाना होगा.

अभी हाल ही में दादा हीरासिंह मरकाम की प्रतिमा को कुछ असमाजिक तत्वों ने खँडित कर दिया। स्वभाविक है कि उनके भक्तों, अनुयायियों के साथ ही पूरे गोँडवाना समाज की भावनाएं आहत हुई है।इस कृत्य की जितनी भी निन्दा की जाय कम हैं।विरोध होना ही चाहिए और हो भी रहा है।

लगभग बीस-पच्चीस वर्ष पहले हम देखते थे कि देश में भारत रत्न बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति को जगह जगह तोडऩे या कालिख पोतने की घटनाएं हुआ करती थी। जहां भी इस प्रकार की घटनाएं घटती थी, वहाँ दँगा हो जाता था या तनाव की स्थिति बन जाती थी। अब उनकी मूर्तियों के साथ ऐसी नीच हरकतों पर लगभग विराम लग चुका है।आदिवासी समाज आज भी देश व प्रदेश में जागरूकता के मामले में सबसे पिछड़े समुदाय का समूह माना जाता है। अपने महापुरुषों, क्रांतिकारी वीरों और शहीदों के प्रति उनमें श्रद्धा और भक्ति तो है, लेकिन वैसा समर्पण नहीं है जैसा होने की आवश्यकता है। इसके मूल में क्षेत्रीयतावाद, ऊँच नीच और हद दर्जे का मनभेद व मतभेद भरा हुआ है। यह बिखराव इतना अधिक व्यापक है कि गँभीरतम मसले भी सदैव प्रभावित हो जाते हैं और जिस सामुहिकता के साथ अन्याय के विरूद्ध उठ खडे होना चाहिये, वह हो नहीं पाता।

आदिवासी समाज आज भी देश व प्रदेश में जागरूकता के मामले में सबसे पिछड़े समुदाय का समूह माना जाता है। अपने महापुरुषों, क्रांतिकारी वीरों और शहीदों के प्रति उनमें श्रद्धा और भक्ति तो है, लेकिन वैसा समर्पण नहीं है जैसा होने की आवश्यकता है। इसके मूल में क्षेत्रीयतावाद, ऊँच नीच और हद दर्जे का मनभेद व मतभेद भरा हुआ है। यह बिखराव इतना अधिक व्यापक है कि गँभीरतम मसले भी सदैव प्रभावित हो जाते हैं और जिस सामुहिकता के साथ अन्याय के विरूद्ध उठ खडे होना चाहिये, वह हो नहीं पाता।

ऐसा नहीं हो पाने का एक कारण यह भी है कि “राज्य में आदिवासियों के पास राजनैतिक शक्ति का भारी अभाव है। सत्ता से मनोबल का निर्माण होता है और जिनका मनोबल ऊँचा होता है, वे असँभव को भी अपने अनुकूल करने की परिस्थितियों को पैदा कर लेते है। भावनाओं के सहारे मैदान नही जीते जाते। हमको राजनैतिक शक्ति का महत्व समझना और समझाना होगा।”

कोई अराजक तत्व पुनः हमारे आदर्श पुरूष को नुकसान ना पहुंचा पाये, ऐसी परिस्थितियों के लिये हम सबको तैयार होना ही चाहिये।
-के.आर.शाह

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