रायपुर (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मंडियों में धान की गिरती कीमतों के मद्देनजर राज्य की कांग्रेस सरकार से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित करने की मांग की है।
आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि देश में मंडियों की स्थापना किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। मंडी अधिनियम में इसके लिए जिम्मेदार राज्य सरकार और मंडी प्रशासन है। लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस-भाजपा सरकारों ने कभी भी इस उत्तरदायित्व को पूरा नहीं किया।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि राज्य की मंडियों में मंडी शुल्क का भुगतान अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा किसान ही करते रहे हैं और यही कारण है कि मंडी शुल्क बढ़ने के बाद धान की नीलामी की बोलियों में प्रति क्विंटल 300 रुपये से ज्यादा की गिरावट आई है। किसानों को इस लूट से बचाने के लिए राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर किसानों का धान न बिके। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में निजी मंडियों को बढ़ावा देने के लिए ही मंडी शुल्क बढ़ाया गया था और मंडी अधिनियम में सरकार के इस कॉर्पोरेटपरस्त बदलाव का खामियाजा प्रदेश के किसान भुगत रहे हैं।
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