मलगांव की समस्याओं का उचित निराकरण नहीं।
कोरबा : जिला कोरबा के एसईसीएल दीपका परियोजना के लिए ग्राम मलगांव की सम्पूर्ण जमीन का अर्जन कर लिया गया है किन्तु प्रभावित परिवारों का मुआवजा ,रोजगार और बसाहट सहित अन्य सुविधाएं अभी लंबित है । अभी तक बसाहट के लिए स्थान और प्लाट आबंटित नही किया गया है । 8 माह पूर्व वहां स्थित 100 साल पुराने तालाब को रात के अंधेरे में अधिकारियों की उपस्थिति में जबरदस्ती तोड़ने पर विवाद हुआ था।
संगठन के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश कोर्राम ने बताया कि लगभग 50 वर्ष पुरानी मन्दिर को भी जबरदस्ती तोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है जिससे भारी विरोध कार्यवाही शुरू हो चुका है । एसईसीएल प्रबंधन के रवैय्ये और समस्याओ के उचित निराकरण नही होने के कारण ग्रामीणों और भूविस्थापितो में अविश्वास बना हुआ है । क्योंकि :-
▪️पुनर्वास नीति के नियमो के सही-सही पालन करने के बजाय किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर लेने के बाद कई सालों तक रोजगार ,मुआवजा और बसाहट तक के लिए विस्थापितो को भटकना पड़ता है ।
▪️अधिग्रहण की प्रारम्भिक प्रकाशन के बाद किसान अपनी जमीन में ही निर्वासित जीवन जीने के लिए बाध्य हो जाते हैं ।
▪️ एसईसीएल के सभी क्षेत्रों में रोजगार ,मुआवजा और बसाहट की कई लम्बित प्रकरणों का निपटारा 35 साल बाद भी नही किया गया है और भुविस्थापित परिवार दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैं ।
▪️दीपका परियोजना में विवादित मंदिर जो कि ग्राम मलगांव के जायसवाल परिवार द्वारा अपने निजी हक की भूमि पर बनवाया गया है और ग्रामवासियो को अटूट आस्था है । उसे बसाहट स्थल में विधि विधान से स्थापित किये बिना ही अन्यत्र हटाने के लिए दबाव बनाए जाने के कारण उक्त परिवार दुखी है ।
सबंधित खुशाल जायसवाल ने अपने धर्मपत्नी प्रीति जायसवाल के द्वारा दान की गई किडनी से नया जीवन प्राप्त किया है अर्थात यह दम्पति एक एक किडनी पर निर्भर है । उनके द्वारा अपने आपको प्रताड़ित महसूस कर आत्मदाह करने तक की घोषणा किया जा चुका है ।
संगठन के पदाधिकारी ने यह भी बताया कि मंदिर के हट जाने से खदान का विस्तार ग्राम मलगांव के मकानों से लगभग 50 मीटर फासले तक पहुंच जाएगा जिससे जान माल का खतरा बढ़ जाएगा । पिछले दिनों इसी खदान में ब्लास्टिंग से उछले पत्थर से घर के आंगन में खड़ी एक छोटी सी बालिका को गंभीर चोटें आई थी ।
▪️एसईसीएल प्रबन्धन के द्वारा भूविस्थापितो के साथ की जाने वाली उपेक्षा से पूरे जिले में पहले से ही गहरा आक्रोश है । इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि अगले दो सालों तक इस गांव की लंबित समस्याओ को अनसुना कर दिया जाएगा और निबासियो को नुकसान उठाना पड़ेगा । इन्ही सब कारणों और अंदेशों से भुविस्थापित परिवार किसी भी आश्वासन को मानने के लिए तैयार नही है ।
▪️इसीलिए हमारी संगठन ने भी मंदिर को बचाने का प्रस्ताव लिया है और जायसवाल परिवार का समर्थन किया है ।
ऊर्जा धानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश कोर्राम व ललित महिलांगे ने प्रेस को जारी एक बयान में बताया है कि संगठन मांग करती है कि किसी तरह की अनहोनी होने से पूर्व तत्काल इसे संज्ञान में लेकर वहां की रोजगार ,मुआवजा और बसाहट की समस्याओं का समाधान कराई जाये और मंदिर को बसाहट स्थल पर स्थापित किया जाए । अगर जोर ज़बरदस्ती की जाती है तो हमें आन्दोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिसकी जवाबदारी एसईसीएल प्रबन्धन एवं जिला प्रशासन की होगी।
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