शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024
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टीका लगाने के बाद मवेशियों की मौत का मामला गरमाया

कोरबा// जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोरबी में कथित तौर पर टीका लगाने के बाद लगभग 50 मवेशियों की मौत एवं बड़ी संख्या में मवेशियों के बीमार हो जाने की जानकारी पर जांच शुरू कर दी गई है। पशु चिकित्सा विभाग का अमला कोरबी पहुंचकर इस पूरे मामले की छानबीन में जुट गया है।
यह पता लगाया जा रहा है कि मवेशियों की मौत टीका लगाने के बाद किन परिस्थितियों में हुई या फिर मवेशी किसी बीमारी से ग्रस्त थे जिसके कारण की जान गई है। शवों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी इंतजार है जो मौत की वजह को पुष्ट करेगा।

दूसरी ओर राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा जो कि रायपुर प्रवास पर हैं, उन्होंने बताया कि संज्ञान में आते ही पशु चिकित्सा विभाग, कोरबा के उपसंचालक एसपी सिंह से पूरे मामले की जानकारी लेते हुए उन्हें हर आवश्यक कदम उठाने एवं जांच के निर्देश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं विभागीय मंत्री रविंद्र चौबे से भी सौजन्य मुलाकात के दौरान पूरे घटनाक्रम की जानकारी उन्हें दे दी गई है। मंत्री रविंद्र चौबे के द्वारा इस संबंध में तत्कालीन तौर पर निर्देश जारी कर पूरे घटनाक्रम की जांच करने और मौत के सही कारणों का पता लगाने अधिकारियों को कहा गया है।

गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा ने मुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री से प्रभावित पशुपालकों को उचित मुआवजा राशि शीघ्र दिलाने का आग्रह भी किया है। प्रशांत मिश्रा ने कहा है कि वे संभवत: बुधवार को कोरबा लौटकर घटनास्थल ग्राम कोरबी जाएंगे और पूरी जानकारी लेंगे। विभागीय मंत्री रविंद्र चौबे से सभी गौठनों एवं पशुओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा प्रशांत मिश्रा ने की।

ग्राम कोरबी में टीका लगाने के बाद करीब 50 मवेशियों की मौत से गांव में हड़कंप और इनके पालकों में मातम के साथ चिंता व्याप्त है। मौत टीका लगने से हुई है या वे मवेशी किसी बीमारी की चपेट में थे, यह तो जांच का विषय है लेकिन मवेशी मालिकों का कहना है कि टीका लगने की वजह से जान गई है। 13 व 14 जुलाई को ग्राम कोरबी में फोर्टीफाइड प्रोकेन पेनिसिलिन इंजेक्शन आईपी इन मवेशियों को लगाया गया था। टीका लगने के कुछ घंटे बाद 5 किसानों के मवेशियों की जान चली गई तो कुछ मवेशी मरने की कगार पर हैं।

पशु चिकित्सा से जुड़े जानकार बताते हैं कि जो इंजेक्शन पशुपालक ग्रामीण ने दिखाया है वह टीका नहीं बल्कि हाई एंटीबायोटिक इंजेक्शन है। खुरहा और मुंह चपका जैसी जानलेवा बीमारी में घाव ठीक करने के लिए इसे लगाया जाता है। पशुओं के वजन के हिसाब से इंजेक्शन लगाने की मात्रा निर्धारित की जाती है।
40 लाख यूनिट वाला इंजेक्शन 3 से 4 क्विंटल वजनी मवेशियों को लगाया जाता है।जानकारों की मानें तो ओवरडोज इंजेक्शन मौत की एक बड़ी वजह हो सकती है। बात यह भी सामने आ रही है कि मौके पर इंजेक्शन स्वयं पशु डॉक्टर ने नहीं बल्कि उनके सहयोगी ने लगाया था। अब यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा की चूक कहां हुई।

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