सोमवार, जुलाई 28, 2025
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जामगांव कांकेर में ईसाई दफन को लेकर विवाद, सरपंच और बजरंग दल कार्यकर्ता पर उकसावे का आरोप

कांकेर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले के नरहरपुर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम जामगांव में शनिवार को एक ईसाई समुदाय के सदस्य के शांतिपूर्ण अंतिम संस्कार को लेकर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया। मृतक सोमलाल राठौर (उम्र 53 वर्ष) का निधन 26 जुलाई की रात कोमल देव अस्पताल, कांकेर में किडनी की बीमारी से हुआ था। परिजनों ने 27 जुलाई को सुबह 10 बजे उनके पार्थिव शरीर को गांव की सीमा में स्थित उनकी वैध निजी भूमि पर ईसाई परंपरा के अनुसार दफनाया।

हालांकि अंतिम संस्कार निजी भूमि पर वैधानिक रूप से किया गया, लेकिन कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध करते हुए कब्र से शव निकालने की मांग की, जिससे गांव में असंतोष और तनाव का वातावरण बन गया।

उकसावे के गंभीर आरोप
मृतक के पुत्र भरत राठौर ने बताया कि गांव की सरपंच भगवती उईके, गहड़ी बांधा के हीरा मरकाम और बजरंग दल के कार्यकर्ता गौरव सोरी ग्रामीणों को दफन के विरोध में भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोग दबाव बना रहे हैं कि शव को कब्र से निकालकर गांव से बाहर कहीं और दफनाया जाए। भरत ने कहा कि यह प्रयास न केवल मृतक की गरिमा का हनन है, बल्कि ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भी गहराई से आहत करता है।

प्रशासन की तत्परता
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नरहरपुर के तहसीलदार और थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत करने और तनाव कम करने का प्रयास किया। फिलहाल प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है।

स्थानीय पास्टर पटीराम के अनुसार, उन्हें और मृतक के बेटे भरत राठौर को 28 जुलाई को उपजिलाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय कांकेर में बुलाया गया है, जहाँ इस विवाद का समाधान खोजने के लिए बैठक आयोजित की जाएगी।

गांव में बना है तनाव का माहौल
घटना के बाद से गांव में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया है, जबकि अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और धार्मिक संगठन प्रशासन से निष्पक्षता और संवेदनशीलता की अपेक्षा कर रहे हैं।

मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता की पुकार
इस विवाद ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता, अंतिम संस्कार के अधिकार और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रश्न को केंद्र में ला दिया है। संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने और अंतिम संस्कार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। ऐसे में निजी भूमि पर शांतिपूर्वक दफन को लेकर आपत्ति और उकसावे की राजनीति न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाती है।

प्रगतिशील ईसाई संगठन की अपील
प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन एलायंस के प्रतिनिधि साइमन डिगबल टंडी ने जारी अपील में कहा है कि-
गांव में शांति और सौहार्द्र बनाए रखा जाए। मृत व्यक्ति की गरिमा का सम्मान हो। प्रशासन संविधान सम्मत धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे।

यह घटना न केवल एक धार्मिक समुदाय के संवैधानिक अधिकारों से जुड़ी है, बल्कि देश के सामाजिक और लोकतांत्रिक ढांचे की भी परीक्षा है। प्रशासन से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और सभी नागरिकों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान सुनिश्चित करे।

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