सोमवार, जुलाई 7, 2025
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कोरबा में शिक्षा को मिलेगा नया संबल: DMF से 480 अतिथि शिक्षक और 351 भृत्यों की होगी नियुक्ति, मानदेय में भी वृद्धि

“शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने कलेक्टर अजीत वसंत का बड़ा फैसला”

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में स्कूली शिक्षा को सशक्त और संतुलित बनाने की दिशा में कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने एक निर्णायक कदम उठाया है। जिला खनिज न्यास (DMF) मद से जिले के स्कूलों में रिक्त पदों की पूर्ति हेतु 480 अतिथि शिक्षकों और 351 भृत्यों की भर्ती को स्वीकृति दी गई है। यह निर्णय जिले के शिक्षा ढांचे को मजबूती देने के साथ-साथ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा।

कलेक्टर श्री वसंत द्वारा यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है, जब स्कूलों में दर्ज छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी देखी जा रही थी। राज्य शासन के निर्देशों के अनुरूप युक्तियुक्तकरण के बाद भी रिक्त पदों की भरपाई जरूरी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।

भर्ती में प्राथमिकता और बढ़ा हुआ मानदेय
नई भर्ती प्रक्रिया में पिछले शिक्षा सत्र में कार्यरत अतिथि शिक्षकों और भृत्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही इस बार उनके मानदेय में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।

– भृत्य: 8500 रुपए प्रतिमाह (पूर्व में 8000 रुपए)
– प्राथमिक स्कूल शिक्षक: 11,000 रुपए (पूर्व में 10,000 रुपए)
– मिडिल स्कूल शिक्षक: 13,000 रुपए (पूर्व में 12,000 रुपए)
– हाई एवं हायर सेकंडरी व्याख्याता: 15,000 रुपए (पूर्व में 14,000 रुपए)

यह बढ़ा हुआ मानदेय न केवल सेवा प्रदाताओं के मनोबल को बढ़ाएगा बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर प्रेरित भी करेगा।

वर्गवार पदों का वितरण
भर्ती की स्वीकृति निम्नानुसार दी गई है।
– प्राथमिक शाला: 243 अतिथि शिक्षक
– माध्यमिक शाला: 109 अतिथि शिक्षक
– हाई व हायर सेकेण्डरी शाला: 128 अतिथि व्याख्याता
– भृत्य (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी): 351 पद

इन पदों की भर्ती जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मेरिट लिस्ट पर आधारित होगी। नियुक्ति पूर्णतः अस्थाई होगी, लेकिन आवश्यकता के अनुरूप यह शैक्षणिक सत्र भर लागू रहेगी।

शिक्षा की गुणवत्ता को मिलेगा बल
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों का पूर्ण पालन किया जाए और भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए ताकि छात्रों को शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी महसूस न हो। यह प्रयास जिले में शैक्षणिक वातावरण को सुधारने तथा समयबद्ध पाठ्यक्रम पूर्ण करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

इसके अलावा, DMF फंड से की जाने वाली यह पहल इस बात का उदाहरण है कि खनिज संपदा से प्राप्त संसाधनों का उपयोग सामाजिक क्षेत्र, विशेष रूप से शिक्षा में कैसे प्रभावी रूप से किया जा सकता है।

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