रविवार, जुलाई 27, 2025
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कोरबा: पत्रकार के अपमानजनक थाने बुलावे पर बवाल, निष्पक्ष जांच की मांग उठी

कोरबा (पब्लिक फोरम)। जनहित में पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार और CG ई खबर न्यूज़ पोर्टल के प्रमुख संपादक ओम प्रकाश पटेल के साथ रामपुर सिविल लाइन थाना में किए गए अपमानजनक व्यवहार को लेकर मामला अब गरमाता जा रहा है। सर्व पत्रकार एकता महासंघ छत्तीसगढ़ ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग पुलिस अधीक्षक से की है, वहीं ओम प्रकाश पटेल ने पुलिस अधीक्षक और जिलाधीश को शिकायत पत्र सौंपकर संबंधित थाना प्रभारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है।

समाचार के मूल में क्या है?
बताया गया है कि 28 जून 2025 को CG ई खबर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें समग्र शिक्षा कार्यालय कोरबा में डीएमसी अधिकारी मनोज पांडे द्वारा ममता सोनी नामक महिला की नियमविरुद्ध पदस्थापना का मामला उठाया गया था। यह खबर सरोज कुमार साहू द्वारा जिलाधीश को सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर तैयार की गई थी।

इसके जवाब में ममता सोनी ने पत्रकार ओम प्रकाश पटेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने “स्त्री मोह” जैसे असंवेदनशील, स्त्रीविरोधी और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए प्रकाशित समाचार को झूठा करार दिया। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इस शिकायत को बिना प्रारंभिक जांच, बिना सूचना अथवा वैधानिक नोटिस के सीधे रामपुर सिविल लाइन थाना भेज दिया गया।

पत्रकार को थाने बुलाकर की गई अपमानजनक पूछताछ
संपादक ओम प्रकाश पटेल के अनुसार, 22 जुलाई को उन्हें थाने बुलाया गया। जब उन्होंने बुलावे का कारण पूछा तो जवाब मिला कि ममता सोनी द्वारा की गई शिकायत के संबंध में उन्हें बुलाया गया है। पटेल ने स्पष्ट किया कि संबंधित समाचार पूरी तरह से दस्तावेजों और जनहित याचिका पर आधारित था, जिसे विभागीय जांच का विषय माना जाना चाहिए, न कि आपराधिक।

जब पटेल थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना से मिलने पहुँचे, तो आरोप है कि उन्होंने न सिर्फ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया बल्कि धमकी देते हुए कहा- “क्या तुम्हारे पास पत्रकारिता की डिग्री है?” और “अगर एक्सटॉर्शन का केस कर देते तो?”। यह व्यवहार न सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ है, बल्कि व्यक्ति की गरिमा और मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

थाना प्रभारी पर पहले से विवादों के साए
पत्रकार ओम प्रकाश पटेल ने यह भी आरोप लगाया कि थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना पूर्व में भी विवादों में रहे हैं और उनके विरुद्ध माननीय हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। यह तथ्य प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि ऐसे अधिकारियों के हाथों पत्रकारों की सुरक्षा को नहीं सौंपा जा सकता।

पत्रकार संगठन और संपादक की प्रमुख मांगें
CG ई खबर के संपादक और सर्व पत्रकार एकता महासंघ छत्तीसगढ़ ने प्रशासन और मानवाधिकार आयोग से निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी हैं।

1. पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच हो।
2. थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना के खिलाफ संवैधानिक मर्यादा भंग करने पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
3. पत्रकार की गरिमा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
4. छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग इस मामले का स्वतः संज्ञान ले।
5. भविष्य में पत्रकारों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की दमनात्मक या उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया जाए।

एक व्यापक सवाल
यह प्रकरण केवल एक पत्रकार के आत्मसम्मान या किसी एक घटना तक सीमित नहीं है। यह पूरे प्रेस तंत्र, लोकतांत्रिक संस्थाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उठते गंभीर सवालों की ओर इशारा करता है। क्या पत्रकार आज भी बिना भय के सत्ता, प्रशासन और संस्थागत भ्रष्टाचार पर सवाल उठा सकते हैं? क्या शासन-प्रशासन ऐसे मामलों में पत्रकारों की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा करेगा?

CG ई खबर और पत्रकार संगठनों की मांग है कि इस प्रकरण में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो, ताकि लोकतंत्र की नींव – स्वतंत्र पत्रकारिता – सुरक्षित रह सके।

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